पाकिस्तान का एक और मामले पर झूठ हुआ उजागर, विेदेश राज्य मंत्री ने खाेली पोल
करतारपुर साहिब मार्ग पर पाकिस्तान की पोल फिर खुल गई है। विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि पाक से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। उधर सिद्धू ने सुषमा स्वराज से भेंट की।
बता दें कि श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पंजाब के गुरदासपुर से मात्र चार किमी दूर है। यदि इस श्री करतारपुर कारिडोर खोला जाता है, तो यह सिख तीर्थयात्रियों के लिए बडी सौगात होगी। पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि पाकिस्तान गुरु नानकदेव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर श्री करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने के लिए तैयार हो गया है। सिद्धू ने कहा था कि पंजाब के लोगों के लिए इससे कोई बड़ी खुशी नहीं हो सकती है। इससे मेरी पाकिस्तान यात्रा का मकसद पूरा हो गया है। इस्लामाबाद में पाकिस्तान ने घोषणा की, कि भारत के सिख श्रद्धालु अब बिना वीजा पाक स्थित श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में माथा टेकने जा सकेंगे।
चंडीगढ़ में 7 सितंबर को मीडिया से बातचीत में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने साफ कर दिया है कि पाक सरकार गुरु नानकदेव की 550वें प्रकाशोत्सव पर श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने को तैयार है। पाकिस्तान इस संबंध में भारत सरकार को प्रस्ताव भेज रहा है। इसके बाद भारत सरकार के सहमत हो जाने पर इस कॉरिडाेर को खोल दिया जाएगा।
सिद्धू ने कहा था कि पाकिस्तान के इस कदम से पंजाब के लोगों को बड़ी सौगात मिलेगी। यह बेहद खुशी की बात है। इससे मेरे पाकिस्तान यात्रा का मकसद पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि मेरे पाकिस्तान दौरे को लेकर बेवजह के सवाल उठाए गए। करतारपुर मार्ग खुल जाने से भारत और पाकिस्तान के बीच शांति व दोस्ती की राह भी खुलेगी। सिद्धू ने कहा, अब समय आ गया है कि दोनों देशों के बीच हिंसा, अशांति और वैर का माहौल खत्म हो।
सिद्धू ने यहां तक की फवाद चौधरी व इमरान खान काे इसके लिए धन्यवाद तक दे दिया था। उन्होंने कहा था कि आज वह किसी भी नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे। परमात्मा उनको लंबी उम्र बख्शे। वोट की राजनीति को धर्म के मुद्दों से दूर रखना चाहिए। हर सिख रोज अपनी अरदास में बिछड़े हुए गुरुधामों के दर्शन की बात करता है, मुझे लगता है कि यह अरदास जल्द पूरी हो जाएगी। सिद्धू ने कहा था कि पाक सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह फैसला सेना प्रमुख, पुलिस प्रमुख, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बैठक के बाद लिया है।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी।
फवाद ने भारत पर अारोप भी जड़ा, कहा- भारत नहीं दिखा रहा सकारात्मक रुख
एजेंसी के अनुसार, बीबीसी की उर्दू सेवा से साक्षात्कार में चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने चुनाव जीतने के बाद से ही भारत के साथ संबंध सुधारने की इच्छा जतानी शुरू कर दी है। इसी के चलते उन्होंने भारतीय क्रिकेटरों को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था।
सिद्धू के पाक सेना प्रधान से गले मिलने पर हुआ था भारी विवाद
इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाक सेना प्रधान के साथ नवजोत सिंह सिद्धू। (फाइल फोटो)
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू पिछले दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए थे और वहां वह पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिले थे। इस पर भारत में काफी विवाद हुआ था और नवजोत सिंह सिद्धू निशाने पर आ गए थे। इसके बाद सिद्धू ने सफाई देते हुए कहा, पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष ने उनसे कहा था कि गुरु नानकदेव के 550वें प्रकाशोत्सव पर पाक श्री करतारपुर साहिब मार्ग खोलने पर विचार कर रहा है। यह सुनकर मैंने खुशी में पाक सेना प्रधान को गले से लगा लिया।
यह है श्री करतापुर साहिब गुरुद्वारे का महत्व
श्री करतापुर साहिब गुरुद्वारे को पहला गुरुद्वारा माना जाता है जिसकी नींव श्री गुरु नानक देव जी ने रखी थी। उन्होंने यहां से लंगर प्रथा की शुरुआत की थी। यह स्थल पाकिस्तान में भारतीय सीमा से करीब चार किलोमीटर दूर है और अभी पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक बार्डर आउटपोस्ट से दूरबीन से भारतीय श्रद्धालु इस गुरुद्वारे के दर्शन करते हैैं। श्री गुरुनानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व 2019 में वहां मनाया जाना है और इस अवसर पर सिख समुदाय इस कॉरिडोर को खोलने की मांग जोर शोर से कर रहा है।
श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा।
गुरु नानक देव ने करतारपुर में गुजारे 15 साल, यहीं ली अंतिम सांस
सिखों के पहले गुरु श्री नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 15 साल करतारपुर की धरती पर ही गुजारे थे। यहां खुद खेती करके उन्होंने समाज को 'किरत करो, वंड छको और नाम जपो' का संदेश दिया था। यहीं उन्होंने अपना शरीर भी छोड़ा था। यह गुरुद्वारा पटियाला स्टेट के महाराजा भूपेंद्र सिंह ने 1947 में बनवाया था। अभी यह गुरुद्वारा निर्माणाधीन ही था कि भारत पाक विभाजन हो गया।
पहले भी हुए थे प्रयास
इससे पहले भी करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाने के प्रयास शुरू हुए थे। जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान की तरफ 1.5 किलोमीटर कॉरिडोर बनाने को सहमति दी थी, लेकिन ये प्रयास सिरे नहीं चढ़ सके।