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बंगाल के बाद पंजाब में अपने पैर फैलाएगी BJP, विधानसभा चुनाव में शिअद पर बनाएगी यह दबाव

पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतकर ममता बनर्जी का किला भेदने वाली भाजपा अब अपना रुख पंजाब की ओर करने जा रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 08:10 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 08:52 AM (IST)
बंगाल के बाद पंजाब में अपने पैर फैलाएगी BJP, विधानसभा चुनाव में शिअद पर बनाएगी यह दबाव
बंगाल के बाद पंजाब में अपने पैर फैलाएगी BJP, विधानसभा चुनाव में शिअद पर बनाएगी यह दबाव

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतकर ममता बनर्जी का किला भेदने वाली भाजपा अब अपना रुख पंजाब की ओर करने जा रही है। इस संसदीय चुनाव में अपने हिस्से की तीन में से दो सीटें जीतने और तमाम शहरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पड़ी वोट से उत्साहित पार्टी ने अपने गठजोड़ साथी शिरोमणि अकाली दल से 50 फीसद मांगने की तैयारी कर ली है।

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पार्टी की जिला प्रधानों और कोर कमेटी के मीटिंग में यह बात प्रमुखता से उभरी कि अब वक्त आ गया है जब भाजपा को पंजाब में अपने पांव पसारने चाहिए। पार्टी के पूर्व प्रधान कमल शर्मा तो सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि दोनों पार्टियों को अब आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।

बता दें, इस समय भाजपा विधानसभा की 117 में से 23 और लोकसभा की 13 में से 3 सीटें लड़ती है। संसदीय चुनाव में पार्टी ने तीन में से दो सीटें जीत लीं और अपने वोट शेयर में इजाफा कर लिया है। जिला प्रधानों की मीटिंग में भी ज्यादातर नेता इस बात पर राजी थे कि भाजपा अपने कोटे को बढ़ाए, अन्यथा पार्टी का काडर हतोत्साहित हो जाएगा। मीटिंग में नई सदस्यता शुरू करने को भी मंजूरी दे दी गई है। पार्टी प्रधान श्वेत मलिक ने सभी जिला प्रधानों से कहा कि वे भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने के लिए जी जान से जुट जाएं।

जब भड़क उठे मदन मोहन मित्तल

कोर कमेटी की मीटिंग से पहले संसदीय चुनाव की समीक्षा के लिए जिला प्रधानों की मीटिंग में संगठन मंत्री दिनेश कुमार ने पार्टी द्वारा पन्ना इंचार्ज न बनाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा सभी राज्यों ने पन्ना इंचार्ज बनाए थे। अगर हमने भी यहां पर ऐसा किया होता तो संभव है कि हम अमृतसर सीट भी जीत जाते। उन्होंने पार्टी लीडरशिप को और भी कई बातें सुनार्ईं जिसको लेकर पूर्व मंत्री मदन मोहन मित्तल भड़क गए।

उन्होंने कहा कि बूथ लेवल से पन्ना लेवल के प्रभारी बनाने का काम पार्टी का है, जिसमें संगठन मंत्री अहम भूमिका में होते हैं। मुझे समझ में नहीं आता जो काम उन्होंने करना था उसकी नाकामी का सेहरा दूसरों के सिर क्यों बांधा जा रहा है?

दिलचस्प बात यह है कि मदन मोहन मित्तल इस समय पार्टी के सबसे सीनियर नेता हैं और वह अपनी बात कहने से कभी नहीं चूकते। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें श्री आनंदपुर साहिब सीट पर जाने के लिए मना किया गया था, जबकि वह उनकी अपनी सीट है। उन्होंने अपने आधार से यहां गठबंधन के उम्मीदवार को लीड दिलाई।

मित्तल के इस रुख को देखते हुए पार्टी ने मुख्य एजेंडे पर फिर कोई बात और बहस नहीं की। मित्तल के बाद केवल इक्का-दुक्का नेता ही बोले और पार्टी प्रधान श्वेत मलिक के भाषण के बाद मीटिंग खत्म कर दी गई। मीटिंग के बाद भी मित्तल द्वारा अपनाए गए रुख से पार्टी के नेता हैरान थे।

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