झारखंड में जदयू को भाव नहीं दे रही भाजपा, नीतीश को बुलाने के प्रयास में है पार्टी
बिहार में भाजपा के साथ जदयू के फिर से गठबंधन होने के बाद झारखंड में जदयू के नेता और कार्यकर्ता काफी उत्साहित थे।
रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। बिहार में भाजपा के साथ जदयू के फिर से गठबंधन होने के बाद झारखंड में जदयू के नेता और कार्यकर्ता काफी उत्साहित थे। उनमें यह उम्मीद जगी थी कि झारखंड में भी भाजपा के साथ गठबंधन होने से यहां लगभग मृतप्राय हो चुकी पार्टी को नई ऊर्जा मिल जाएगी। लेकिन कई माह बीत जाने के बाद भी झारखंड में इस तरह का कोई गठबंधन नहीं दिख रहा है।
सच तो यह है कि भाजपा यहां जदयू को कोई भाव ही नहीं दे रही है। इससे जदयू नेताओं और कार्यकर्ताओं में निराशा है। फिलहाल पार्टी कार्यकर्ता बिहार के मुख्यमंत्री सह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को झारखंड बुलाने के प्रयास में हैं ताकि यहां भी गठबंधन का माहौल बन सके।
बिहार में गठबंधन के बाद झारखंड में जदयू ने सरकार विरोधी सारे कार्यक्रम भी बंद कर दिए। इससे पहले पार्टी विधि व्यवस्था और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर थी। दूसरी तरफ, भाजपा और जदयू के बीच किसी तरह का मेल मिलाप नहीं हो रहा है। यहां तक कि राज्य सरकार ने 2018-19 के बजट को लेकर भी इस पार्टी से कोई सुझाव नहीं लिया। मुख्यमंत्री बजट की तैयारी को लेकर प्रमंडलों में जाकर लोगों से सुझाव लेते रहे। इन कार्यक्रमों में भाजपा के कार्यकर्ता तो शामिल हुए, लेकिन जदयू को इससे दूर ही रखा गया। इस बाबत पूछे जाने पर प्रदेश जदयू अध्यक्ष जलेश्वर महतो ने स्वीकार किया कि अभी तक पार्टी से बजट पर कोई राय नहीं ली गई।
प्रदेश जदयू के अंदरखाने में चर्चा है कि पिछले दिनों प्रदेश पार्टी अध्यक्ष जलेश्वर महतो ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिलकर इन मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने सरकार में पार्टी की सहभागिता की भी मांग उठाई। अलबत्ता पूछे जाने पर जलेश्वर महतो कहते हैं कि उन्होंने विधि व्यवस्था को लेकर ही मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
बाबूलाल से दूरी
बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन के बाद प्रदेश जदयू ने झारखंड विकास मोर्चा से दूरी अपना ली। इससे पहले जदयू के सभी कार्यक्रमों में पूर्व मुख्यमंत्री सह झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी शामिल होते थे। यहां तक कि झारखंड विकास मोर्चा के जदयू में गठबंधन की बात कही जा रही थी। इधर, विपक्षी पार्टियों की बैठक से भी जदयू अलग-थलग रह रहा है।
भाजपा ही है एकमात्र आसरा
झारखंड में जदयू के लिए भाजपा के साथ गठबंधन ही एकमात्र आसरा है। राज्य में जदयू का जनाधार लगातार कम होता गया है। राज्य गठन के बाद 2005 में इस पार्टी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2009 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या घटकर दो हो गई। एनडीए से अलग होने के बाद 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। पार्टी को उम्मीद है कि 2019 के चुनाव में एनडीए के साथ लडऩे से पार्टी का फिर से खाता खुल सकेगा।
झारखंड जदयू प्रदेश अध्यक्ष-जलेश्वर महतो ने कहा यह सही है कि अभी किसी तरह का गठबंधन नहीं दिख रहा है। समय का इंतजार कीजिए। गठबंधन दिखने लगेगा।