Politics : भाजपा सांसद ने बंगाल में पार्टी की रैली के दौरान वाटर कैनन में रसायन के इस्तेमाल को लेकर शाह को पत्र लिखा
कार्रवाई की मांग दो अन्य भाजपा सांसदों ने राज्य पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी शिकायत की। आरोपों पर राज्य के मंत्री ने कहा-भाजपा घटिया राजनीति कर रही है। दोनों सांसदों ने आयोग को इस बाबत एक ज्ञापन सौंपा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल से भाजपा सांसद लाकेट चटर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पिछले हफ्ते भाजपा की रैली पर ‘वॉटर कैनन’ के जरिए कथित रूप से ‘रसायन’ का इस्तेमाल करने पर बंगाल सरकार से रिपोर्ट तलब कर कार्रवाई की मांग की है। चटर्जी ने पत्र में आरोप लगाया है कि भाजपा की युवा इकाई (भाजयुमो) की आठ अक्टूबर की रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों की शांतिपूर्ण भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस द्वारा हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया गया था। रसायन के कारण लोग बीमार पड़े और उन्हें सांस लेने में परेशानी हुई। कई कार्यकर्ताओं को तो अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है।
...ताकि लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा कर सकें
भाजपा सांसद ने पत्र के जरिए गृह मंत्री को लिखा, 'यदि आप भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वॉटर कैनन में रसायनों के उपयोग के बारे में राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब कर सकें और राज्य के लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा कर सकें तो बंगाल के लोग आपके बहुत आभारी होंगे।’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी शिकायत की
दूसरी तरफ, प्रदेश भाजपा युवा इकाई के अध्यक्ष व सांसद सौमित्र खान और राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता ने इस संबंध में राज्य पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी शिकायत की है। दोनों सांसदों ने आयोग को इस बाबत एक ज्ञापन सौंपा है।
भाजपा घटिया राजनीति कर रही : अरुप विश्वास
इधर, भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरूप विश्वास ने कहा कि भाजपा घटिया राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा, 'भाजपा के लोगों ने उस दिन हिंसा भड़काई और पुलिस ने सयंम दिखाया। अब वे हर तरह के निराधार आरोप लगा रहे हैं।'
घटना के दिन रसायन इस्तेमाल करने का आरोप
उल्लेखनीय है कि राज्य के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय ने घटना के दिन ही रसायन मिलाने को लेकर भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि होली के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले रंग को पानी में मिलाया गया था ताकि बाद में प्रदर्शनकारियों की पहचान की जा सके।