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कांग्रेस हाईकमान से नहीं मिल रही तव्‍वजो, हताश हुड्डा तलाश रहे राह, कल करेंगे बैठक

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सियासी दोराहे पर हैं। तीखे तेवर दिखाने के बाद भी कांग्रेस नेतृत्‍व द्वारा तव्‍वजो नहीं मिलने से हताश हुड्डा अब कोई सम्‍मानजनक राह तलाश रहे हैैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 03:40 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 08:56 PM (IST)
कांग्रेस हाईकमान से नहीं मिल रही तव्‍वजो, हताश हुड्डा तलाश रहे राह, कल करेंगे बैठक
कांग्रेस हाईकमान से नहीं मिल रही तव्‍वजो, हताश हुड्डा तलाश रहे राह, कल करेंगे बैठक

चंडीगढ़, जेएनएन। पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा फिलहाल सियासी दोराहे पर खड़े हैं और अगली राह को लेकर अनिश्‍चय की स्थिति में हैं। सोनिया गांधी से मुलाकात और बागी तेवर दिखाने के बावजूद कांग्रेस हाईकमान द्वारा तव्‍वजो नहीं दिए जाने से हताश हुड्डा अब कोई सम्मानजनक रास्ता तलाश रहे हैं। हुड्डा ने ऐसे में अब मंगलवार अपने समर्थकों की 37 सदस्यीय कमेटी की नई दिल्ली में बैठक बुलाई है।

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पार्टी छोड़ने की हुड्डा की धमकियों से नाराज हाईकमान पर नहीं कोई असर

दरअसल, हरियाणा में दस साल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस हाईकमान में पकड़ ढीली पड़ती जा रही है। बागी तेवर दिखाने और पार्टी छोड़ने के संकेत के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें अहमियत देनी कम कर दी है। हरियाणा कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष डा. अशोक तंवर को हटवाने के लिए हुड्डा और उनके विधायकों ने हाईकमान पर काफी समय से दबाव बना रखा है। हाईकमान के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी हुड्डा को इस मिशन में अब तक कामयाबी नहीं मिली है। राजनीतिक जानकाराें का कहना है कि वर्तमान हालत संकेत दे रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे के दौरान भी हुड्डा की पसंद को खास तरजीह मिलनी मुश्किल है।

अहमियत के अभाव में हुड्डा की विधायकों पर पकड़ हुई ढीली, विधायकों के छिटकने की संभावना

हुड्डा की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर को पद से हटवाने के लिए वह जिस कदर भागदौड़ करते रहे, इससे उनका राजनीतिक वजन लगातार कम हो हुआ। राज्य में कांग्रेस के 17 विधायक हैं। एक विधायक जयतीर्थ दहिया इस्तीफा दे चुके हैं। बाकी बचे 16 विधायकों में 12 विधायक हुड्डा खेमे के माने जाते हैं। उन्होंने भी अशोक तंवर को पद से हटाने के मुद्दे को अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जोड़ा हुआ है, लेकिन हुड्डा के साथ-साथ विधायकों की बात को भी हाईकमान महत्व देता नजर नहीं आ रहा है।

बताया जाता है कि कांग्रेस हाईकमान हुड्डा से रोहतक की परिवर्तन महारैली की घोषणा के बाद से नाराज है। इस रैली से पहले और आखिरी दिन तक हुड्डा ने हाईकमान पर तंवर को हटाने का पूरा दबाव बनाए रखा। रोहतक रैली में हुड्डा के मंच पर न ताे सोनिया गांधी व राहुल गांधी की कोई तस्‍वीर थी और न ही कांग्रेस का पोस्‍टर व निशान। इसके बाद हुड्डा ने अगली रणनीति तय करने को 38 सदस्यीय कमेटी भी बनाई। संभावना जताई जा रही थी कि हुड्डा अलग पार्टी बनाएंगे, लेकिन सब कुछ अधर में दिख रहा है।

यह बताए जाते हैं हुड्डा से कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी के कारण

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हुड्डा से कांग्रेस हाईकमान की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी है। हाईकमान का मानना है कि कांग्रेस ने हुड्डा को दस साल तक सीएम की कुर्सी सौंपकर रखी। इसके बावजूद उनका आंखें दिखाना और बागी तेवर दिखाना किसी सूरत में वाजिब नहीं था। लिहाजा हाईकमान ने हुड्डा को उनके हाल पर छोड़ दिया।

यह भी बताया जाता है कि अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्‍यक्ष की कुर्सी पर अब तक इसलिए कायम हैं कि हाईकमान किसी तरह के दबाव में नहीं आना चाहता। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इससे पार्टी में गलत संदेश जाएगा। बताया जा रहा है कि हुड्डा की जिद के आगे हाईकमान किसी सूरत में झुकने को तैयार नहीं है, जिसका फायदा अशोक तंवर को मजबूती के रूप में मिल रहा है।

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हुड्डा के पास अब तीन विकल्प, शायद ही साथ रुकेंगे सभी समर्थक विधायक

हाईकमान के इस रुख के बाद हुड्डा अब अनिर्णय की स्थिति में हैं। माना जाता हे कि उनके पास अब कांग्रेस में ही रहने, अलग पार्टी बनाने अथवा शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने के तीन विकल्प बच गए हैं। इन तीनों ही स्थिति में हुड्डा समर्थक विधायकों के छिटकने की पूरी संभावना बन गई है। इसके साथ ही हुड्डा यदि अपनी पसंद से टिकट नहीं दिला पाए तो उनके साथ विधायक शायद ही खड़े नजर आएं।

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अगली रणनीति के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में जुटेगी 37 सदस्यीय कमेटी

उधर पूरे घटनाक्रम के बीखच हुड्डा ने रोहतक की महा परिवर्तन रैली के बाद गठित अपने समर्थक नेताओं की 37 सदस्यीय कमेटी की नई दिल्ली में मंगलवार को बैठक बुलाई है। यह बैठक कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। संभवना है इस बैठक में हुड्डा अपनी अगली रणनीति तैयार करेंगे।

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बताया जाता है कि 29 अगस्त को नई दिल्ली में कांग्रेस की कार्यकारी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद हुड्डा को यह आभास हो गया था कि अब उनको कांग्रेस में पहले जैसा सम्मान मिलना संभव नहीं है। इसके बावजूद वह कांग्रेेस हाईकमान के नजदीकी बड़े नेताओं के आश्वासन से कुछ सकारात्मक होने की आस लगाए बैठे हैं। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपालन रविवार देर सायं नई दिल्ली लौटे। वेणुगोपाल आज सायं सोनिया गांधी से चर्चा करके हरियाणा कांग्रेस की बाबत कोई बड़ा संकेत दे सकते हैं। इसलिए हुड्डा ने मंगलवार सुबह अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है।

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जानकाराेें का कहना है कि हुड्डा के सामने फिलहाल यह बड़ी चुनौती है कि वह ऐसा कौन सा रास्ता अपनाएं जिससे उनका समर्थकों के बीच राजनीतिक सम्मान बना रहे। बता दें, 18 अगस्त को हुड्डा ने कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाने के लिए रोहतक में परिवर्तन महारैली की थी। इसके बाद उन्होंने अपने समर्थक विधायक, पूर्व मंत्रियों व पूर्व विधायकों की एक 38 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की एक सदस्य पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर 28 अगस्त को भाजपा में शामिल हो गई हैं।

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