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Bhumi Pujan of Ram Mandir: पूरी अवधपुरी अकुलाई, 'आवत नगर कुसल रघुराई

Bhumi Pujan of Ram Mandir in Ayodhya राम मंदिर के लिए भूमिपूजन के दिन योध्या अव्यक्त सी हो चली है। कुछ कहना चाहकर भी लोग अपनी भावनाओं को शब्द नहीं दे पाते।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 06:29 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:05 AM (IST)
Bhumi Pujan of Ram Mandir: पूरी अवधपुरी अकुलाई, 'आवत नगर कुसल रघुराई
Bhumi Pujan of Ram Mandir: पूरी अवधपुरी अकुलाई, 'आवत नगर कुसल रघुराई

अयोध्या [हरिशंकर मिश्र]। त्रेता युग में राम की घर वापसी पर कोशलपुरी कुछ-कुछ इसी तरह की भावनाओं से ओतप्रोत रही होगी। यह शहर पिछले तीन सालों से भगवान राम की अगवानी में दिव्य दीपोत्सव मनाता रहा है लेकिन इस बार के दीये भावनात्मक उजाले के प्रतीक हैं।

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सांझ ढले विद्युत झालरों से सरयू जुगनुओं से नहाई तो किनारे जले दीप भी लहरा उठे। यह दीप उस रामलला के वंदन के लिए हैं, जिनको सालों साल तिरपाल में देखकर अयोध्या की आत्मा तड़पी है। यही वजह है कि रामलला की अगवानी के इन दीपकों में व्याकुलता की बाती सी जलती नजर आती है।

राम मंदिर के लिए भूमिपूजन के एक दिन पहले अयोध्या अव्यक्त सी हो चली है। कुछ कहना चाहकर भी लोग अपनी भावनाओं को शब्द नहीं दे पाते। बस जिसके मन में जो आ रहा है, कर रहा है। घरों में बंदनवार सज रहे हैं, रंगोली और फूलों की इतनी सज्जा तो दिव्य दीपोत्सव में भी नहीं देखने को मिली। साकेत महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर कविता सिंह कहती हैं-'यहां घर-घर राम हैं और हर घर राम का है। इसलिए भावनाएं उमड़ पड़ी हैं।

शाम को सरयू में झिलमिलाती रोशनियां इन भावनाओं को और गहरा कर देती हैं। यहां किनारों पर भी सैकड़ों दीप जलाए गए हैं। अयोध्या पिछले दो दिनों से दीपावली मना रही है फिर भी भूमि पूजन की शुभ घड़ी की प्रतीक्षा ने उसे आकुल कर रखा है। धर्म की इस नगरी में आज वाल्मीकि और तुलसी दोनों मानों जीवंत हो उठे हैं। लाउडस्पीकरों पर दोहा गूंज रहा है-'आवत नगर कुसल रघुराई।' तो मंदिरों में श्लोक भी।

अयोध्या आज पूरी रात जागेगी। हनुमानगढ़ी के बाहर मिलते हैं उदासीन ऋषि आश्रम के महंत डा. भरत दास। बताने लगते हैं कि कहां-कहां अखंड पाठ शुरू हुआ। कहां-कहां सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का जाप होगा। इन आयोजनों में बच्चे भी जुड़े हुए हैं। युवाओं में खास तौर पर अधिक उत्साह है। उन्होंने अपने बड़ों से नारा सुना है-बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का। हर घर में झंडे लगाने का बीड़ा इन युवाओं ने ही पूरा किया है।

देश में शायद यह पहला अवसर है जबकि किसी एक कार्यक्रम में पत्रकारों का प्रवेश पूरी तरह निषिद्ध है फिर भी एक हजार से अधिक पत्रकार उमड़ पड़े हैं। आखिर समय का साक्षी होने के भी मायने हैं। पत्रकारों का जमावड़ा लोगों में कौतूहल नहीं जगाता। लेकिन, प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों के लिए उनमें जिज्ञासा है। कौन-कौन कार्यक्रम में शामिल हो रहा है, चर्चाएं इस बात की हैं। शिलान्यास के लिए जल और मिट्टी लेकर आये कुछ युवा राम की पैड़ी घूमकर कारसेवकपुरम लौटे हैं। वे सवाल करते हैं-'कौन-कौन आया? कारसेवा में शामिल रहे भाजपा के बड़े नेताओं के न आने की बात सुनकर वे मायूस हो जाते हैं।

अयोध्या के लोगों में इस बात का अधिक मलाल नहीं कि वे कार्यक्रम में नहीं शामिल हो पा रहे हैं। पूछने पर अवध विश्वविद्यालय की कार्य परिषद कृष्ण कुमार मिश्र कहते हैं-'मलाल किस बात का। समय फिर मिलेगा। मंदिर बनने तो दीजिए।' तय है कि अयोध्या समय का इंतजार करेगी। इस बार की कसक की भरपाई के लिए।  


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