दुर्गा पूजा के दौरान यूजीसी-नेट परीक्षा पर बंगाल सरकार ने जताई आपत्ति, शिक्षामंत्री की एनटीए से शेड्यूल बदलने की मांग
विरोध - परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव के लिए एनटीए को पत्र लिखेंगे बंगाल के शिक्षामंत्री। परीक्षा की कुछ तिथियां दुर्गा पूजा से मेल खाने के चलते राज्य सरकार को है आपत्ति। बंगाल के बड़े उत्सव के बीच परीक्षा करााने का निर्णय हजारों छात्रों की भावनाओं को आहत करने वाला है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से यूजीसी- नेट परीक्षा का शेड्यूल जारी करने के बाद कुछ तिथियां बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा से मेल खाने को लेकर अब राज्य सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है। राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने एनटीए से परीक्षा की तिथियों में बदलाव की मांग की है। उन्होंने कहा कि बंगाल के सबसे बड़े उत्सव के बीच परीक्षा आयोजित करने का निर्णय हजारों छात्रों की भावनाओं को आहत करने वाला है।
कार्यक्रम बदलने के लिए एनटीए को पत्र लिखेंगे
पत्रकारों से बात करते हुए पार्थ ने कहा, 'दुर्गा पूजा बंगाल में सबसे बड़ा त्यौहार है। यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। वे पूजा के दिन परीक्षा कैसे तय कर सकते हैं? हम इसपर अपनी आपत्ति जताते हैं। हम पूजा के दिन होने वाली परीक्षाओं के कार्यक्रम को बदलने के लिए एनटीए को पत्र लिखेंगे।'
सामाजिक और धार्मिक त्योहार के प्रति उदासीन
शिक्षा मंत्री ने भाजपा पर भी इशारों में निशाना साधते हुए कहा कि यह विडंबना है कि जो लोग हमेशा पूजा के बारे में उत्साहित होते हैं, वे बंगाल के सबसे बड़े सामाजिक और धार्मिक त्योहार के प्रति उदासीन हैं।
यूजीसी नेट परीक्षा 24 सितंबर से 5 नवंबर को
उल्लेखनीय है कि यूजीसी नेट की परीक्षा 24 सितंबर से 5 नवंबर के बीच कई पालियों में आयोजित की जाएगी। इनमें कुछ विषयों की परीक्षाएं 21 से 23 अक्टूबर को होनी है।
पंचमी, षष्ठी और सप्तमी के दिन परीक्षा होनी है
बंगाल में 22 अक्टूबर से दुर्गा पूजा शुरू होगी और जो शेड्यूल जारी किया गया है उसके मुताबिक पंचमी, षष्ठी और सप्तमी के दिन परीक्षा होनी है। इसी पर आपत्ति है।
परीक्षा का शेड्यूल हास्यास्पद व अपमानजनक
इससे पहले इसको लेकर तृणमूल सांसद व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी प्रधानमंत्री को ट्वीट करके कहा कि दुर्गा पूजा की पंचमी, षष्ठी व सप्तमी के दिन परीक्षाओं का शेड्यूल जारी किया जाना हास्यास्पद और बंगाल के छात्रों व संस्कृति का अपमान है।