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बेटे की घर वापसी की चर्चा से बाबूलाल की मां खुश, दलबदल कर बड़े धमाके की तैयारी में प्रदीप-बंधु तिर्की

Babulal Joins BJP आज देर शाम तक बाबूलाल मरांडी की विदेश से वापसी संभव है। जबकि झाविमो ने 16 जनवरी तक कार्यसमिति को पुनगर्ठित करने की घोषणा कर रखी है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 08:22 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 01:17 PM (IST)
बेटे की घर वापसी की चर्चा से बाबूलाल की मां खुश, दलबदल कर बड़े धमाके की तैयारी में प्रदीप-बंधु तिर्की
बेटे की घर वापसी की चर्चा से बाबूलाल की मां खुश, दलबदल कर बड़े धमाके की तैयारी में प्रदीप-बंधु तिर्की

रांची, राज्य ब्यूरो। Babulal Joins BJP पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच झाविमो के पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव तथा मांडर विधायक बंधु तिर्की झाविमो की कार्यसमिति के पुनर्गठन से पूर्व दलबदल कर झारखंड की राजनीति में बड़ा धमाका कर सकते हैं। पार्टी के भीतरखाने ऐसी चर्चा है। दोनों विधायकों के एक साथ झाविमो से नाता तोड़ने के बाद जहां एक ओर दलबदल का मामला स्थापित नहीं हो सकेगा, वहीं झाविमो सुप्रीमो सह गिरिडीह विधायक बाबूलाल मरांडी के भाजपा में जाने की राह आसान हो जाएगी। इसके साथ ही झाविमो के विलय को लेकर उत्पन्न ऊहापोह भी थम जाएगा। बहरहाल बाबूलाल की बुधवार की देर शाम तक विदेश से वापसी की चर्चा है और झाविमो ने 16 जनवरी तक कार्यसमिति को पुनगर्ठित करने की घोषणा कर रखी है।

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बाबूलाल के भाजपा में आने की अटकलों से मां हरसू मूर्मू और भाई रामी मरांडी बहुत खुश

झारखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी के एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में आने की चहुंओर चर्चा से उनके घरवाले भी खुश हैं। बाबूलाल की मां हरसू मूर्मू और बाबूलाल के भाई रामी मरांडी ने एक सुर में कहा कि राम का वनवास खत्‍म हो रहा है। अपनी खुशी जताते हुए मरांडी की मां और भाई ने सीधे शब्‍दों में कहा कि बाबूलाल के भाजपा में आने की खबर चल रही है, इससे परिवार वाले काफी खुश हैं।

चुनाव पूर्व ही तैयार हो गया था झाविमो के विलय का रोड मैप

चर्चा है कि झाविमो के भाजपा में विलय का रोड मैप विधानसभा चुनाव 2019 से पूर्व ही तैयार हो चुका था। बाबूलाल ने इसके बाद ही महागठबंधन से किनारा कर लिया था। अलबत्ता उनका तर्क था कि झाविमो का जनाधार पूरे झारखंड में है, जबकि कांग्रेस और झामुमो का कुछ खास क्षेत्रों में। ऐसे में महागठबंधन में शामिल होने से दूसरे दलों को तो लाभ मिल जाता, झाविमो को नुकसान हो जाता। चर्चा यह भी है कि चुनाव पूर्व बाबूलाल ने सरकार बनाने की दावेदारी यूं ही नहीं की थी। भाजपा के शीर्ष नेताओं से पूर्व में ही उनकी बात हो चुकी थी। अगर भाजपा के पास संख्या बल होता तो अबतक झाविमो का भाजपा में विलय हो गया होता।


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