Move to Jagran APP

Ayodhya Verdict: मुस्लिम पक्ष के पुनर्विचार याचिका दायर करने के फैसले पर रविशंकर बोले, 'दोहरा रवैया'

पहले मुस्लिम बॉडीज द्वारा अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार कर लिया गया और अब वो फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करना चाहते हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 05:31 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 08:59 PM (IST)
Ayodhya Verdict: मुस्लिम पक्ष के पुनर्विचार याचिका दायर करने के फैसले पर रविशंकर बोले, 'दोहरा रवैया'
Ayodhya Verdict: मुस्लिम पक्ष के पुनर्विचार याचिका दायर करने के फैसले पर रविशंकर बोले, 'दोहरा रवैया'

कोलकाता, जागरण संवाददाता। अयोध्या फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के फैसले को अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने दोहरा रवैया करारा दिया है। उन्होंने कहा कि अब हिंदू और मुसलमानों को देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।

loksabha election banner

 'व्यक्ति विकास से राष्ट्र विकास' कार्यक्रम

महानगर के नेताजी इंडोर स्टेडियम में आर्ट ऑफ लीविंग के कार्यक्रम 'व्यक्ति विकास से राष्ट्र विकास' का उद्घाटन करने पहुंचे श्री श्री रविशंकर ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि स्वाभाविक रूप से हर किसी को एक फैसले से खुश नहीं किया जा सकता है, लोगों की अलग राय हो सकती है, लेकिन जो लोग पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रहे हैं मैं उन्हें कहना चाहूंगा कि ये वही लोग हैं जो पहले कहा करते थे कि वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार करेंगे। यह लोग दोहरा रवैया अपना रहे हैं। बता दें कि एआइएमपीएलबी ने छह दिसंबर से पहले श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है।

यह जिद की मस्जिद वहीं बनाएंगे, इसका कोई मतलब नहीं बनता

द आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री अयोध्या विवाद में मध्यस्थता कमेटी के सदस्य रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हां, मैं अयोध्या के फैसले से खुश हूं। मैं 2003 से यह बता रहा हूं कि दोनों समुदायों को इस पर मिलकर हल निकालना चाहिए। एक तरफ मंदिर का निर्माण और दूसरी तरफ मस्जिद का निर्माण हो सकता था लेकिन यह जिद की मस्जिद वहीं बनाएंगे, इसका कोई मतलब नहीं बनता।

अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए हर तरफ से होना चाहिए प्रयास

भारत में मौजूदा वित्तीय संकट पर बोलते हुए आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए हर तरफ से प्रयास किए जाने चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या मंदिर-मस्जिद के मुद्दे ने देश की अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव डाला है? श्री श्री ने कहा कि मैं ऐसा नहीं मानता, दोनों मामले अलग हैं क्योंकि मंदिर का फैसला अदालत ने दिया है। श्री श्री ने कहा कि समाज में बहुत सी चीजें हैं जिन्हें करने की आवश्यकता है। हमें अपनी प्राथमिकताएं सही निर्धारित करने की आवश्यकता है, शिक्षा, नौकरियों और बेरोजगारी पर ध्यान केंद्रित करना है।

अयोध्या से अलग है काशी, मथुरा का मामला

63 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि अयोध्या मसले को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से नहीं मिलाया जाना चाहिए। क्योंकि अयोध्या का मामला बिल्कुल अलग है और वाराणसी, मथुरा का मसला अलग है। बता दें कि विश्व हिंदू परिषद ने हाल ही में कहा था कि अयोध्या के बाद अब काशी (वाराणसी) और मथुरा विवाद पर देश का ध्यान आकर्षित किया जाएगा।

09 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने का फैसला साफ कर दिया था और केंद्र को मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भारत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित निर्णयों में से एक माना जा रहा है। कोर्ट ने बहुत लंबे समय से चले आ रहे विवाद को खत्म कर दिया है जो राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहा था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.