न्यास के मॉडल पर ही बनेगा अयोध्या में श्रीराम का मंदिर, शिलान्यास अप्रैल में संभावित : चंपत राय
ShriRam Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust चंपत राय को भरोसा है कि रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप ही मंदिर का निर्माण होगा।
अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। अयोध्या में श्रीराम मंदिर को लेकर लंबी लड़ाई में बेहद सक्रिय रहे विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय को भरोसा है कि रामजन्मभूमि न्यास की ओर से प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप ही मंदिर का निर्माण होगा। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नवनियुक्त महासचिव चंपत राय ने कहा कि गगनचुंबी मंदिर के नाम पर न्यास की ओर से प्रस्तावित मॉडल को खारिज किया जाना उचित नहीं है।
दिल्ली में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक के बाद शुक्रवार को अयोध्या पहुंचे चंपत राय ने कहा कि सच्चाई यह है कि देश की आजादी के बाद इतनी ऊंचाई वाला कोई मंदिर नहीं बना। जमीन की सतह से 141 फीट ऊंचे मंदिर को गगनचुंबी ही कहा जाएगा। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव भव्यता के पर्याय माने जाने वाले स्वामिनारायण संप्रदाय की परंपरा के मंदिरों का वास्ता देकर भी न्यास की ओर से प्रस्तावित मंदिर की भव्यता परिभाषित करते हैं। यह बताकर कि भव्यता के पर्याय माने जाने वाले स्वामिनारायण की परंपरा के चाहे जो मंदिर हों, वे 104-105 फीट ऊंचे ही हैं और उनका परिसर भले बड़ा हो, पर मंदिर का एरिया रामजन्मभूमि न्यास के मंदिर के एरिया जितना ही है। वह यह स्पष्ट करना भी नहीं भूलते कि किसी मंदिर का शिखर ऊंचा होना, उतना अहम नहीं है, बल्कि कॉरीडोर एवं कांप्लेक्स से किसी भवन अथवा मंदिर की भव्यता तय होती है और इस दिशा में विकास तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पास जमीन की कमी नहीं है।
उन्होंने 70 एकड़ जमीन कम नहीं होती। धर्मशाला, गोशाला और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जरूरत पड़ी, तो अन्यत्र जमीन ली जा सकती है और यह जरूरी नहीं है कि मंदिर निर्माण के लिए रामजन्मभूमि परिसर से लगी और भूमि अधिग्रहीत की जाय। राय ने कहा कि अगले दो वर्ष में इतना निर्माण जरूर हो जाएगा कि वह दूर से भी नजर आने लगे।
हो सकती है रामलला के वर्तमान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास की छुट्टी
यदि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव के इशारों को समझें, तो रामलला के वर्तमान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास की छुट्टी हो सकती है। पुजारी की नियुक्ति के सवाल पर उन्होंने कहा, रामलला का अर्चक रामानंदीय परंपरा का, मंत्रों का ज्ञाता, सुशिक्षित और सभ्य होना चाहिए। उन्हें इस दृष्टि से सत्येंद्रदास में समस्या नहीं नजर आती बल्कि वे उनकी बढ़ती उम्र पर सवाल उठाते हैं। यह बता कर कि 80-85 वर्ष का व्यक्ति रामलला के अर्चक की जिम्मेदारी संभालने में सक्षम नहीं हो सकता। ट्रस्ट की पहली बैठक में निर्मोही अखाड़ा की ओर से पूजा एवं ट्रस्ट में अन्य छह स्थान मांगे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से आगे तो नहीं जाया जा सकता।
शिलान्यास अप्रैल में संभावित
अयोध्या में भव्य श्रीराममंदिर का शिलान्यास अप्रैल महीने में संभावित है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पहले आर्कियोलॉजी और आर्कीटेक्चर के विशेषज्ञ, इंजीनियर एक साथ बैठेंगे। जहां गर्भगृह बनना है, उस भूमि की मिट्टी का परीक्षण होगा और इसकी रिपोर्ट आने पर ही शिलान्यास संभावित है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मंदिर का शिलान्यास तो 1989 में कामेश्वर चौपाल ने कर दिया था, जो तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी बनाए गए हैं। इसके बावजूद नए सिरे से निर्माण के पूर्व पूजन की परंपरा का पालन होगा ही।
रामलला को मिली एक और पोशाक
अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण की तैयारियों के बीच हर पर्व-त्योहार पर मिलने वाली नई पोशाक से भी रामलला के अच्छे दिन की आहट मिल रही है। श्री राममंदिर निर्माण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफलता की कामना से वर्षों से सतत अनुष्ठान के लिए जाने जाते रहे पं. कल्किराम गत वर्ष से ही प्रत्येक पर्व-त्योहार पर रामलला और उनके साथ विराजे सभी भाइयों एवं हनुमान जी के विग्रह को पोशाक भेंट करते हैं। शुक्रवार को महा शिवरात्रि के मौके पर भी उन्होंने प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास को रामलला की पोशाक का सेट भेंट किया।
आगामी बैठक में फंड जुटाने पर फैसला
राममंदिर निर्माण के लिए फंड जुटाना अहम माना जा रहा है। इसके लिए अंतिम योजना ट्रस्ट की आगामी बैठक में बनाई जाएगी।