Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर को लेकर बेहद सक्रिय भूमिका में थी आधी आबादी, आज बेहद खुश
Ayodhya Ram Mandir राजमाता विजयाराजे सिंधिया जहां संयम की प्रतिमूर्ति थीं वहीं उमा भारती के साथ साध्वी ऋतंभरा हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता थीं।
लखनऊ [धर्मेन्द्र पाण्डेय]। रामनगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण की नींव में आधी आबादी भी बेहद सक्रिय भूमिका में रही है। पर्दे के आगे के साथ पीछे भी इनकी भूमिका हमेशा चरम पर रही है। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन में महिला ब्रिगेड को प्रेरित करने वाली स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती तथा साध्वी ऋतंभरा ने बड़ा किरदार अदा किया।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया जहां संयम की प्रतिमूर्ति थीं, वहीं उमा भारती के साथ साध्वी ऋतंभरा हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता थीं। इनके खिलाफ विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप तय थे। अयोध्या में राम मंदिर के आंदोलन के दौरान साध्वी ऋतंभरा के भाषण से सभी बेहद प्रभावित थे। उस समय युवा भाजपा नेता तथा सांसद उमा भारती की पहचान मंदिर आंदोलन के दौरान महिला चेहरे के तौर पर उभरी।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यपरिषद में मंदिर के लिए प्रस्ताव लाने वाली स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया रहीं हों अथवा अपने भाषणों को लेकर चर्चा में आईं उमा भारती एवं साध्वी ऋतंभरा। देश में छह दिसंबर 1992 की घटना के बाद उमा भारती एवं साध्वी ऋतंभरा के भाषणों की चर्चा ने काफी जोर पकड़ा था। अब पांच अगस्त को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन तथा शिलान्यास होने जा रहा है जो कि उमा भारती एवं साध्वी ऋतंभरा के लिए बेहद सुखद पल है। शायद राजमाता स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया को भी इसी सुखद पल का इंतजार था।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के खिलाफ 1980 में रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया ग्वालियर राजघराने का गौरव रहीं। भारतीय जनता पार्टी की संस्थापक सदस्य रहीं राजमाता विजयराजे सिंधिया ही पार्टी की राष्ट्रीय कार्य परिषद में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का प्रस्ताव लेकर आईं थीं। उसके बाद से ही वह कभी परोक्ष तो कभी अपरोक्ष रूप से भाजपा के बड़े आंदोलन का हिस्सा बनी। वह हर कदम पर भाजपा की नीतियों के साथ ही रहीं। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी 1989 में जब रथयात्रा लेकर लेकर निकले, तो राजमाता सिंधिया ने उसे पूरा सहयोग दिया।
विचारधारा और सिद्धांतों के प्रति आजीवन अडिग रहने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने जनसंघ की सदस्यता ग्रहण की। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी से हर महत्वपूर्ण अवसरों पर चर्चा कर वह तो भारतीय जनसंघ की राजमाता से लोकमाता की ओर अग्रसर होने लगीं। उनकी राष्ट्रहित के प्रति जागरूकता ने ही उन्हेंं राजमाता से लोकमाता बनाया। उनका कुशाभाऊ ठाकरे से बहुत लगाव था। वह उन्हेंं पुत्रवत मानती थीं। इसके बाद वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ती चली गईं। भारतीय जनसंघ से भाजपा तक उनकी यात्रा में उनेक उतार-चढ़ाव आए, पर उन्होंने अपने सिद्धांत और विचारधारा के प्रति जो समर्पण रहा उसे कभी नहीं छोड़ा। वह राम मंदिर आंदोलन में भी प्रणेता की भूमिका में रहीं।
उमा भारती
पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान महिला चेहरे के तौर उभरीं। 1984 से सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाली उमा भारती 1989 में खुजराहो से भाजपा की सांसद चुनी गईं। इसके बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। खुजराहो से ही 1991, 1996 व 1998 में सांसद चुनी गईं और 1999 में भोपाल से भी लोकसभा में पहुंचीं। उमा भारती को लिब्रहान आयोग ने अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वंस में दोषी मानकर उनके खिलाफ केस चलाया है। उमा भारती केंद्रीय मंत्री बनीं या मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री, उसकी वजह केवल राममंदिर आंदोलन ही रहा। जिसने सन्यासी से उमा भारती को देश की सियासत का देदीप्यमान नक्षत्र बना दिया।
उन्होंने 90 के दशक में राममंदिर के समर्थन में देश में भ्रमण कर सभाएं की और जोश जगाने वाला भाषण दिया। यही कारण रहा कि विश्व हिंदू परिषद की लगभग हर सभा से उनकी नुमाइंदगी का अक्स उभरता रहा। उन पर अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को भीड़ को भड़काने का आरोप लगा। यही कारण रहा कि इस मामले के केस नंबर 198 के जिन 13 अभियुक्तों में आठ के खिलाफ चार्जशीट प्रस्तुत की गई, उनमें उमा भारती भी एक थीं। वह केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रहीं। मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं उमा भारती 2019 के संसदीय चुनावों से अलग रहीं और भाजपा की जीत के बाद भी मंत्री भी नहीं रहीं।
साध्वी ऋतम्भरा
भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में अनाथ बालिकाओं के लिए वात्सत्य ग्राम जैसा प्रकल्प संचालित करने के वाली साध्वी ऋतंभरा का मां-बाप ने नाम निशा रखा था। राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने ऐसी अलख जगाई कि दुनिया उनको साध्वी ऋतम्भरा के नाम से जान रही है। साध्वी ऋतम्भरा ही थीं, जिन्होंने कहा कि हां हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है। साध्वी ऋतम्भरा 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बनीं। विश्व हिन्दू परिषद् की श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का एक तेजस्वी चेहरा बनकर उभरीं। उन्होंने इस आंदोलन की सफलता के लिए सारे भारत में धर्म जागरण किया।
साध्वी ऋतंभरा ने पांच 5 अगस्त को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले दैनिक जागरण से बातचीत में आंदोलन से जुड़ी यादें ताजा की है। साध्वी ऋतंभरा ने बताया कि उन्होंने सरयू का जल हाथ में लेकर राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था। अब अयोध्या में पांच तारीख को इतिहास रचने जा रहा है। उन पलों का साक्षी बनना अपने आप में गौरव की बात है। वे कहती हैं कि मेरी तरुणाई श्रीराम जन्मभूमि को अर्पित हुई, इसका अगाध सुख है।