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बिहार को बहुत कुछ दे गए अटल बिहारी वाजपेयी, सुशील मोदी को कहा था- राजनीति में आइए

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की शुक्रवार को पहली पुण्‍यतिथि थी। बिहार से उनकी कई स्‍मृतियां जुड़ीं हैं। उनका एक नारा भी प्रसिद्ध है- आप बिहारी मैं अटल बिहारी।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 12:34 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 10:36 PM (IST)
बिहार को बहुत कुछ दे गए अटल बिहारी वाजपेयी, सुशील मोदी को कहा था- राजनीति में आइए
बिहार को बहुत कुछ दे गए अटल बिहारी वाजपेयी, सुशील मोदी को कहा था- राजनीति में आइए

पटना [अमित आलोक]। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को उनकी पहली पुण्‍यतिथि पर शुक्रवार को पूरे देश ने याद किया। बिहार को उन्‍होंने बहुत कुछ दिया। अपने भाषणों में वे अक्‍सर कहा करते थे- आप बिहारी, मैं अटल बिहारी। उन्‍होंने ही वर्तमान उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) को उनके विवाह के दिन सक्रिय राजनीति में आने का आमंत्रण दिया था। कम लोग ही जानते हैं कि वाजपेयी की पसंदीदा बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी (Hema Malini) थीं, जिनकी एक फिल्‍म उन्‍होंने 25 बार देखी थी।
दिलों में बसीं वाजपेयी की स्‍मृतियां
अटल बिहारी वाजपेयी का बिहार से गहरा लगाव था। उनका नाम लेते ही बिहार में लोगों को उनके भाषणों का यह वाक्‍य बरबस याद आ जाता है- आप बिहारी, मैं अटल बिहारी। वाजपेयी की स्मृतियां यहां लोगों के दिलों में बसी हुईं हैं।

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सुशील मोदी की शादी में आए थे अटल
अटल बिहारी वाजपेयी बीते 13 अप्रैल 1986 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की शादी में पटना आए थे। सुशील मोदी कहते हैं, ''पोस्ट कार्ड भेजकर निमंत्रण दिया था और वे आ गये। वह क्षण मेरे लिए भाव-विभोर करने वाला था।''

वाजपेयी ने विवाह समारोह में शामिल अतिथियों व परिजनों के बीच बेहद आत्मीयतापूर्ण भाषण दिया था। सुशील मोदी के अनुसार, तब उन्होंने (वाजपेयी) उन्‍हें सक्रिय राजनीति में आने का औपचारिक आमंत्रण दिया था।
सुशील मोदी ने बीते साल 17 अगस्‍त को अपने विवाह समारोह के दौरान वाजपेयी की तस्‍वीर व उनके भाषण को ट्वीट किया था। आप भी देखिए...



मैथिली को दिलाया सम्‍मान
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में बिहार के मिथिलांचल की भावना का ख्याल रखते हुए मैथिली को संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल करने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री के रूप में कर्पूरी ठाकुर और जगन्नाथ मिश्र ने इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा था। 23 वर्षों से केंद्र के समक्ष अटके इस मामले पर फैसला अटल बिहारी वाजपेयी ने दिसंबर 2003 में लिया।


मिथिलांचल में सफर किया आसान
मिथिलांचल का इलाका साल 1934 के विनाशकारी भूकंप के दाैरान दो भागों में बंट गया था। दरभंगा-मधुबनी अलग और सहरसा-सुपौल अलग। दरभंगा से सहरसा-सुपौल इलाके में लोग रात भर का लंबा सफर कर जानकी एक्सप्रेस ट्रेन से जाते थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी महासेतु का निर्माण करा मिथिलांचल का एकीकरण कर दिया। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के तहत बनी फोरलेन सड़क ने आर्थिक विकास के नए रास्ते भी खोले।


भागलपुरी शॉल के थे मुरीद
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के अनुसार अटल बिहारी वाजपेयी बिहार में अंतिम बार भागलपुर में उनके चुनाव प्रचार में गए थे। वाजपेयी को भागलपुरी रेशमी शॉल बहुत पसंद थी।


बक्‍सर से शुरू करते थे चुनाव प्रचार
बिहार की राजनीति में उनकी गहरी पैठ रही। यहां के राजनेताओं को उन्‍होंने हमेशा तवज्जो दी। लेकिन चुनाव प्रचार की शुरुआत वे बक्सर से करते थे। बक्सर उनके सबसे करीब माने जाने वाले लालमुनि चौबे की सीट थी।  लालमुनि चौबे अब नहीं रहे, लेकिन उनके 'अटल प्रेम' के किस्से आज भी कहे-सुने जाते हैं।
नंदकिशाेर को कहा था- आगे बढ़ो
वाजपेयी प्रतिभा को भांप उसे प्रोत्‍साहित करते थे। बिहार सरकार में मंत्री नंदकिशोर यादव को उन्‍होंने 29 साल की उम्र में परिश्रम करने और आगे बढ़ने की नसीहत दी थी। तब दोनों की मुलाकात पटना के गांधी मैदान में जनसभा के दौरान हुई थी। उस समय नंदकिशोर यादव पटना के डिप्टी मेयर व बीजेपी जिलाध्यक्ष थे। नंदकिशोर यादव के अनुसार, तब से उनकी जिंदगी की धार मुड़ गयी।

राज्यपाल गंगा प्रसाद के घर रुकते थे वाजपेयी
वाजपेयी सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र व बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया की शादी के बाद रिसेप्शन समारोह में पटना आए थे। चौरसिया के अनुसार, अटल जी पटना आने पर उनके परिवार के साथ रुकना पसंद करते थे।
पटना के अशोक सिनेमा हॉल में देखते थे फिल्‍में
एक बात और...। वाजपेयी फिल्म स्टार और बीजेपी सांसद हेमा मालिनी के बड़े प्रशंसक थे। वाजपेयी ने हेमा की 1972 में रिलीज फिल्म 'सीता और गीता' 25 बार देखी थी। हेमा ने यह बात खुद एक कार्यक्रम के दौरान कही थी। अभिनेताओं की बात करें तो दिलीप कुमार उन्‍हें बेहद पसंद थे। पटना के अशोक सिनेमा हॉल के मालिक बऊआ जी से अटल जी के पुराने संबंध थे। अटल जी जब पटना आते थे, अशोक सिनेमा हॉल में फिल्में भी देखते थे।


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