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देश के सबसे ज्यादा संवेदनशील इस लोकसभा क्षेत्रों में हुई मुठभेड़, पथराव व गिरफ्तारियों का मतदान पर पड़ेगा भारी असर

पुलवामा और शोपियां जिले देश के सबसे ज्यादा संवेदनशील लोकसभा क्षेत्रों में शामिल अनंतनाग-पुलवामा के अंतर्गत आते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 10:39 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 11:42 AM (IST)
देश के सबसे ज्यादा संवेदनशील इस लोकसभा क्षेत्रों में हुई मुठभेड़, पथराव व गिरफ्तारियों का मतदान पर पड़ेगा भारी असर
देश के सबसे ज्यादा संवेदनशील इस लोकसभा क्षेत्रों में हुई मुठभेड़, पथराव व गिरफ्तारियों का मतदान पर पड़ेगा भारी असर

शोपियां/पुलवामा, राज्य ब्यूरो। इमामसाहब में शुक्रवार की तड़के हुई मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के तीन स्थानीय आतंकियों की मौत और हिंसक प्रदर्शनों ने न सिर्फ शोपियां बल्कि इससे सटे पुलवामा जिले का भी माहौल बदल दिया है। पत्थरबाजों की गिरफ्तारी और आतंकी संगठन द्वारा चुनाव बहिष्कार के ताजा फरमान के बीच सोमवार को होने वाले मतदान के लिए बची खुची उम्मीद को लेकर भी प्रशासन और राजनीतिक दल आशंकित हो गए हैं।

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हालात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि शुक्रवार को सिर्फ झेलम दरिया के बायीं तरफ हाईवे के साथ सटे पांपोर और अवंतीपोरा में ही चुनावी सभाएं हुई। वहीं, झेलम के दाएं तरफ जिला पुलवामा या शोपियां में जो सभाएं होनी थीं, वह स्थगित हो गई। पुलवामा और शोपियां जिले देश के सबसे ज्यादा संवेदनशील लोकसभा क्षेत्रों में शामिल अनंतनाग-पुलवामा के अंतर्गत आते हैं। सुरक्षा कारणें से इस सीट पर तीन चरणों में मतदान कराने का फैसला चुनाव आयोग ने किया है। पहले दो चरणों 23 व 29 अप्रैल को क्रमश: अनंतनाग व कुलगाम में हो मतदान चुका है।

अंतिम चरण का मतदान छह मई को जिला पुलवामा व शोपियां में होना है। शोपियां के कीगाम में अपने घर के बाहर खड़े शौकत अहमद ने कहा कि यह एनकाउंटर नहीं होना चाहिए था। पहले ही यहां माहौल नहीं था, रही सही कसर अब पूरी हो गई है। अब अगले दो तीन दिनों तक यहां पथराव, बंद और सुरक्षाबलों के तलाशी अभियान चलते रहेंगे। पहले ही करीब 80-90 लड़कों को पुलिस ने हिरासत में ले रखा है। आज यहां एक दल विशेष की बैठक थी, वह रद्द हो गई। मरने वाले तीन आतंकियों में दो तारिक और शारिक इसी जिले के हैं।

कीगाम के साथ सटे हाल, पुलवामा में भी शोपियां मुठभेड़ का असर साफ नजर आया। मुश्ताक अहमद और नजीर वानी एक क्षेत्रीय दल के साथ जुड़े हुए हैं, ने कहा कि पहले ही अनंतनाग-और कुलगाम में मतदान कम हुआ है। हमारे जिला पुलवामा में मतदान को लेकर लोगों में जोश नहीं है। कई गांवों के नाम लिए जा सकते हैं, जहां हमने कोई बैठक नहीं की है। लोगों को सिर्फ फोन पर ही संपर्क किया है।

डोगरीपोरा का एक आतंकी लतीफ मारा गया है। आतंकी की मौत पर होने वाले हिंसक प्रदर्शनों का सिलसिला सोमवार के मतदान पर असर डालेगा। अख्तर हुसैन ने कहा कि शोपियां और पुलवामा में करीब 200 लड़कों को पुलिस ने बीते एक सप्ताह के दौरान गिरफ्तार किया है। रोज रात को यहां सुरक्षाबलों की छापेमारी हो रही है। पुलिस दावा करती है कि हिरासत में लिए गए सभी युवक पत्थरबाज हैं, हिंसक प्रदर्शनों में लिप्त हैं या आतंकियों के साथ जुड़े हुए हैं। जिसके घर का सदस्य थाने में होगा, क्या वह वोट डालने जाएगा, उसका पड़ोसी भी नहीं जाएगा। यह बात तय है।

उन्होंने कहा कि गत रोज हिजबुल कमांडर ने चुनाव बहिष्कार के जो पोस्टर जारी किए हैं, उससे भी लोग डरे हुए हैं। आज की मुठभेड़ ने स्थिति और बिगाड़ दी है।पीपुल्स डेमोक्रेटिक पाटी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक ने कहा कि सभी को पता है कि यह दोनों जिले जमात ए इस्लामी के प्रभाव वाले हैं। जमात पर पाबंदी का असर भी मतदान पर नकारात्मक हो रहा है। इसके अलावा मुठभेड़ में तीन स्थानीय आतंकियों की मौत का असर भी अब मतदान पर होगा। जिन गांवों से यह आतंकी ताल्लुक रखते हैं, सिर्फ वहीं पर ही नहीं, उनके आस-पास के गांवों में भी वोटिंग शून्य के बराबर होगी। उन्होंने सवाल किया कई परिवारों के युवा जेलों में बंद हैं, वह उन्हें छुड़ाने का प्रयास करेंगे या वोट डालने जाएंगे।

मतदान पर नकारात्मक असर नहीं:

डीजीपीराज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग ने पत्थरबाजों की गिरफ्तारी और आतंकियों की मौत से मतदान पर किसी तरह के नकारात्मक असर से इंकार करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने, लोगों में मतदान के लिए सुरक्षा की भावना पैदा करने के इरादे से ही शरारती तत्वों को पकड़ा जाता है। अगर आतंकी मारे जाते हैं तो उनकी दहशत खत्म होती है।

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