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पानी की धार से मिलेगा चुनावी 'जीत का हार', विपक्ष को बड़ा झटका

केजरीवाल यह बात स्वीकार कर चुके हैं कि जब 2017 के निगम चुनाव में जनता से वोट मांगने जाते थे तो लोग उन्हें पानी के हजारों की राशि वाले बिल दिखाते थे। इसलिए इस बार बिल माफ कर दिया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 08:01 AM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 08:10 AM (IST)
पानी की धार से मिलेगा चुनावी 'जीत का हार', विपक्ष को बड़ा झटका
पानी की धार से मिलेगा चुनावी 'जीत का हार', विपक्ष को बड़ा झटका

नई दिल्ली ( वी.के.शुक्ला)। चुनावी वर्ष में मुफ्त की सौगातें देकर आम आदमी पार्टी की सरकार अगले पांच साल के लिए भी रास्ता मजबूत करने की रणनीति पर चल पड़ी है। पहले दो सौ यूनिट तक की बिजली माफ और 400 यूनिट तक के प्रति माह खर्च पर बड़ी रियायत देकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी दांव चला था। विपक्षी इस दांव की काट ढूंढ रहे थे कि केजरीवाल ने पानी के पुराने बिल माफ कर एक और पंच मार दिया है।

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आम आदमी पार्टी चुनावी मोड में
हालांकि चुनाव अभी फरवरी में प्रस्तावित हैं, दिल्ली का मुख्य निर्वाचन कार्यालय भी फरवरी में चुनाव कराने की रणनीति पर चल रहा है। मगर राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो केजरीवाल सरकार जिस तरह से जनता से जुड़ी घोषणाएं कर रही है इससे यह बात साफ हो रही है कि सरकार अक्टूबर में चुनाव मानकर चल रही है। एक के बाद एक बड़ी घोषणा से सिद्ध हो रहा है कि सरकार समय से पहले उन सभी नकारात्मक मुद्दों को दबा देना चाहती है जो सिर उठा सकते हैं।

सरकार का संदेश साफ हम नहीं रुकने वाले
सरकार ने सोमवार को पानी के पुराने बिल माफ कर जनता के साथ-साथ दूसरे दलों को भी साफ संकेत दे दिया है कि हम अभी रुकने वाले नहीं हैं। इसी बीच केजरीवाल ने बुधवार को भी किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर घोषणा करने के लिए प्रेसवार्ता बुलाई है। इस प्रेसवार्ता को लेकर विपक्षी दल भी टोह लेने में लगे हैं कि अब और कौन सी घोषणा सरकार करने जा रही है।

चार हजार करोड़ रुपये का बकाया बिल माफ
बहरहाल सोमवार को की गई पुराने पानी के बिलों को माफ करने की इस घोषणा के तहत केजरीवाल ने 4 हजार करोड़ की बकाया राशि माफ कर दी है। इससे 23 लाख उपभोक्ताओं में से सीधे तौर पर साढ़े 13 लाख उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचेगा। इसमें से ई,एफ,जी व एच श्रेणी के साढ़े 10 लाख उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचेगा। यहां गौर करने वाली बात है कि 2017 में हुए निगम चुनाव में उम्मीद की अपेक्षा वोट न मिलने का कारण केजरीवाल सरकार पानी की किल्लत और लोगों के हजारों में आए पानी के बिल भी मानती रही है।

लोग बता रहे थे पानी बिल में दोष
केजरीवाल यह बात स्वीकार कर चुके हैं कि जब 2017 के निगम चुनाव में जनता से वोट मांगने जाते थे तो लोग उन्हें पानी के हजारों की राशि वाले बिल दिखाते थे। ई, एफ, जी व एच तक चार श्रेणी की कॉलोनियां ऐसी हैं जहां गरीब व मध्यम वर्ग के लोग निवास करते हैं। इन कॉलोनियों के लोगों के लिए पानी के बिलों का पुराना बिल पूरी तरह माफ कर दिया गया है। डी-श्रेणी की कॉलोनियों में भी कुछ इसी तरह के लोग रहते हैं। जिनमें मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या अच्छी खासी है। इन कॉलोनियों के लोगों के भी बिलों की भी 75 फीसद राशि माफ कर दी गई है।

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