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यादव परिवार में तनातनी : छोटी बहू अपर्णा ने फिर बसपा से गठबंधन के फैसले पर उठाया सवाल

यादव परिवार की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बसपा के साथ गठबंधन के फैसले पर फिर से सवाल उठाते हुए मायावती पर सपा से मिला सम्मान नहीं पचा पाने का आरोप लगाया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 12:19 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 12:19 AM (IST)
यादव परिवार में तनातनी : छोटी बहू अपर्णा ने फिर बसपा से गठबंधन के फैसले पर उठाया सवाल
यादव परिवार में तनातनी : छोटी बहू अपर्णा ने फिर बसपा से गठबंधन के फैसले पर उठाया सवाल

लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 के बाद नतीजों की समीक्षा न होने से पार्टी के भीतर आवाज उठने लगी है। यादव परिवार की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बसपा गठबंधन पर फिर एतराज जताते हुए मायावती पर सपा से मिला सम्मान नहीं पचा पाने का आरोप लगाया।

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मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बसपा प्रमुख मायावती को लेकर दिए बयान से पारिवारिक तनातनी एक बार फिर से जाहिर हुई है। एक चैनल को दिए बयान में अपर्णा ने कहा कि सपा ने मायावती को सम्मान देने में कोई कमी नहीं रखी, लेकिन उन्होंने हमारे सम्मान की लाज नहीं रखी। मायावती सपा के सम्मान को पचा नहीं पाईं। उन्होंने कहा कि मायावती से गठबंधन करने का फैसला पूरी तरह से अखिलेश यादव का था। उन्होंने कहा कि यह फैसला किससे सलाह लेकर किया? यह वही बता सकते हैं। बसपा से गठबंधन के फैसले पर मुलायम की राय पर अपर्णा ने कुछ कहने से इनकार किया।

अखिलेश यादव को दी सलाह

मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने अखिलेश यादव को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में, यह समय की मांग है कि हर उस कार्यकर्ता को जो पार्टी से नाराज हैं, उन्हें पार्टी में वापस बुलाया जाए। एक बार फिर से पार्टी को खड़ा किया जाए। अखिलेश भइया को इस बारे में विचार करना चाहिए।

चुनावी समीक्षा नहीं करने से कार्यकर्ताओं में गलत संदेश 

सपा के एक पूर्व विधायक का कहना है कि चुनावी समीक्षा नहीं करने से सामान्य कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा रहा है। गठबंधन तोड़ने के बाद से बसपा प्रमुख मायावती के हमले बढ़ते जा रहे हैं। सपा की ओर से पलटवार न होने से भी समर्थकों में मायूसी है। ऐसे हालात अधिक दिनों तक बने रहेंगे तो 12 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उप चुनाव निश्चित तौर पर प्रभावित होंगे।

लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियां भी लगभग ठप हैं। नेतृत्व की ओर से जिलों में जन संवाद कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया गया है परंतु वरिष्ठ नेताओं द्वारा रुचि न लेने के कारण अभियान कारगर नहीं हो पा रहा है।


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