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Amar Singh News : शानदार दोस्ती और शिद्दत से दुश्मनी...ऐसे किस्से रहेंगे 'अमर'

Amar Singh Passes Away अपनी तल्ख टिप्पणियों के कारण राज्यसभा सदस्य अमर सिंह सदैव चर्चा में बने रहे। मुलायम सिंह यादव से मित्रता से न केवल उन्हें बल्कि सपा को भी नई पहचान मिली।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 01:24 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 08:43 AM (IST)
Amar Singh News : शानदार दोस्ती और शिद्दत से दुश्मनी...ऐसे किस्से रहेंगे 'अमर'
Amar Singh News : शानदार दोस्ती और शिद्दत से दुश्मनी...ऐसे किस्से रहेंगे 'अमर'

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। दोस्ती निभाने में सीमाएं लांघ जाने वाले राज्यसभा सदस्य अमर सिंह दुश्मनी भी उसी शिद्दत से निभाते थे। नौवें दशक से राजनीति में सक्रिय हुए अमर सिंह का विवादों से नाता ताउम्र बना रहा। अपनी तल्ख टिप्पणियों के कारण वह सदैव चर्चा में बने रहे।

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समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की मित्रता से न केवल उन्हें, बल्कि सपा को भी नई पहचान मिली। धनाढ्य वर्ग और फिल्मी जगत में उनके मजबूत रिश्तों का लाभ समाजवादी पार्टी की छवि बदलने में मिला। वर्ष 1996 में समाजवादी से सहारा, अंबानी व अन्य बड़े पूंजीपति घरानों का जुड़ाव हुआ, वहीं सुपर स्टार अमिताभ बच्चन से यादव परिवार का बना रिश्ता आज भी कायम है। मुलायम सिंह यादव के गांव इटावा के सैफई में फिल्मी सितारों का मेला लगा देने का श्रेय भी अमर सिंह को जाता है।

अमर ङ्क्षसह को एक समय समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के बाद दूसरे नंबर का नेता माना जाता था। वरिष्ठ समाजवादी नेता गोपाल अग्रवाल का कहना है कि मुलायम और अमर सिंह का रिश्ता अनूठा रहा। दोनों के रास्ते जुदा भी हुए लेकिन, एक-दूसरे का सम्मान बरकरार रखा। यही वजह रही कि मुलायम सिंह यादव ने तमाम विरोध के बावजूद 2016 में वीटो का प्रयोग करते हुए अमर सिंह को सपा कोटे से राज्यसभा सदस्य बनवाया। रिश्तों में चरमपंथी माने जाने अमर सिंह का आजम खां से हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा। सपा में रहते हुए भी उन्होंने आजम को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सपा के विनाश तक रहेगी दाढ़ी

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले जब आजम, रामगोपाल यादव जैसों के दबाव में अमर सिंह को 2010 में समाजवादी पार्टी से निकाला गया तो उन्होंने लोकमंच नाम से अलग पार्टी का गठन किया। प्रदेश में 360 सीटों पर उम्मीदवार भी उतारे थे। तब अमर सिंह ने दाढ़ी रखते हुए एलान किया था कि सपा के विनाश तक वह दाढ़ी रखेंगे। मार्च 2014 में अमर सिंह राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन, कामयाबी नहीं मिल सकी। अखिलेश यादव से बात बिगड़ी तो उन्हें कभी बबुआ तो कभी औरंगजेब जैसी उपमा देने से भी गुरेज नहीं किया।

टाइगर अभी जिंदा है

अपने विवादित व चुटीले बयानों के लिए अमर सिंह सदैव चर्चा में रहे। सोशल मीडिया पर सक्रिय बने रहने वाले अमर सिंह कई बार मर्यादाएं भी लांघ जाते थे। अमर सिंह ने गत मार्च में एक वीडियो क्लिप जारी करते हुए अपनी मौत की अफवाह पर विराम अपने अंदाज में लगाया था। वीडियो में कहा गया, सिंगापुर से मैं अमर ङ्क्षसह बोल रहा हूं। रुग्ण हूं, त्रस्त हूं, व्याधि से लेकिन, संत्रस्त नहीं, हिम्मत बाकी है, जोश बाकी है, होश भी बाकी है, हमारे मित्रों ने ये अफवाह फैलाई कि यमराज ने मुझे बुला लिया है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। टाइगर अभी जिंदा है।


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