All India Police Science Congress 2019: अमित शाह ने कहा- IPC और CRPC कानूनों में होगा बदलाव
All India Police Science Congress 2019 अमित शाह ने समारोह में कहा कि ब्रिटिश राज में बने आइपीसी सीआरपीसी जैसे कानून अब अप्रासंगिक हो चुके हैं।
लखनऊ, जेएनएन। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का मानना है कि ब्रिटिश राज में बने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) जैसे कानून अब अप्रासंगिक हो चुके हैं। ब्रिटिश हुकूमत ने इन कानूनों को भारत पर शासन करने के लिए बनाया था, जबकि हमारी प्राथमिकता इस देश के नागरिक और गरीब से गरीब व्यक्ति हैं, जिन्हें सुरक्षा प्रदान करने के साथ उन्हें इसका आभास भी कराना है। मौजदा जरूरतों के मुताबिक इन कानूनों में आमूलचूल परिवर्तन किया जाएगा।
पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय 47वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस (All India Police Science Congress 2019) के शुक्रवार को समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने आइपीसी, सीआरपीसी में संशोधन का मसौदा तैयार कर गृह मंत्रालय को भेज दिया है, लेकिन मुझे कोई जल्दी नहीं है। ऐसे कानून सौ-डेढ़ सौ वर्षों में एक बार बदले जाते हैं। इन कानूनों को आधुनिक संदर्भों में सरल, सुचारु और लोकाभिमुख कैसे बनाया जाए, इसके लिए प्रत्येक राज्य पुलिस महानिदेशक से लेकर बीट कांस्टेबल तक इस पर मंथन कर गृह मंत्रालय को अपने सुझाव दे। इन कानूनों में बदलाव के मसौदे को वेबसाइट पर सार्वजनिक भी किया जाएगा। कानून के विशेषज्ञों के सुझाव भी लिए जाएंगे।
मिल सकेंगे रेडीमेड पुलिस कार्मिक
पेशेवर और प्रशिक्षित पुलिस कार्मिकों की कमी को दूर करने के लिए शाह ने देश में एक रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय की स्थापना करने की भी घोषणा की जिसके लिए केंद्र सरकार विधेयक लाएगी। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में पुलिस विश्वविद्यालय नहीं है, वहां इस विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज स्थापित किया जाएगा। कक्षा दस उत्तीर्ण कर चुके जो बच्चे पुलिसिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं, वे इस विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों में पढ़ सकते हैं। इस विश्वविद्यालय में फोरेंसिक साइंस, कानून, अभियोजन, विवेचना और पुलिस थानों के संचालन की पढ़ाई होगी। जो छात्र यहां से पढ़कर निकलेंगे उन्हें पुलिस भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी क्योंकि वे 'रेडीमेड मैटीरियल' होंगे।
अपराधियों को सजा दिलाने में आएगी तेजी
देश में अपराधियों को सजा दिलाने की दर बेहद कम होने से चिंतित शाह ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है। सात साल से अधिक सजा वाले संगीन आपराधिक मामलों में फोरेंसिक साक्ष्यों को जुटाना अनिवार्य होगा। राज्यों में इस विश्वविद्यालय से संबद्ध फोरेंसिक साइंस कॉलेज स्थापित होंगे। इससे फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध होगा। राज्यों को इस पर बहुत खर्च नहीं करना पड़ेगा। वे किसी साइंस कॉलेज को भी फोरेंसिक साइंस कॉलेज में बदल सकते हैं। राज्य स्तर पर एक बड़ी फोरेसिंक साइंस लैब और जिला स्तर पर छोटी इकाइयां स्थापित होनी चाहिए। सरकार का मानना है कि जब तक आदती गुनहगारों को सजा न मिले, तब तक लोगों में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।
नारकोटिक्स ब्यूरो के ढांचे में होगा बदलाव
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नशा देश की आने वाली नस्ल को खोखला कर देता है। जिस देश की नस्ल खोखली हो जाती है, वह दुनिया का लीडर नहीं बन सकता है। नारकोटिक्स (मादक पदार्थों) से जुड़े अपराधों से संबंधित एजेंसियों में अभी कोई समन्वय नहीं है। इसलिए सरकार नोरकोटिक्स ब्यूरो के ढांचे में भी बदलाव करेगी। इसके एक्ट को भी कठोर बनाया जाएगा। इस बदलाव के संबंध में राज्यों को भी एडवाइजरी जारी की जाएगी। अर्धसैनिक बल भी नारकोटिक्स से जुड़े अपराधों को रोकेंगे। केंद्र सरकार नारकोटिक्स से जुड़े अपराधियों के खिलाफ अभियोजन के लिए राज्यों को प्रशिक्षित मानव संसाधन सुलभ कराएगी। शाह ने कहा कि उन्होंने सभी विधि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर इसके लिए अलग विभाग खोलने के लिए कहा है।
राज्यों में स्थापित होंगे मोडस ऑपरेंडी ब्यूरो
उन्होंने कहा कि राज्यों में मोडस ऑपरेंडी ब्यूरो स्थापित किया जाएगा। एफआइआर दर्ज होते ही मोडस ऑपरेंडी ब्यूरो के पास उसका सारांश पहुंचेगा और जिन मामलों में सजा होगी, उसका ब्योरा भी ब्यूरो को भेजा जाएगा। ब्यूरो उसका विश्लेषण करेगा कि एक प्रकार के अपराध करने वालों से कैसे निपटा जाए। शाह ने कहा कि प्राय: सरकारी वकील मुकदमों की तारीख बढ़वाते रहते हैं। उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। अभियोजन की प्रक्रिया की निगरानी और उसे चुस्त-दुरुस्त करने के लिए उन्होंने पुलिस मुख्यालय में निदेशक अभियोजन का पद स्थापित करने के लिए भी कहा।
जेल मैनुअल का अपग्रेडेशन जरूरी
शाह ने कहा कि राज्यों ने जेल का अलग विभाग बनाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली लेकिन सच तो यह है कि जेल भी कानून व्यवस्था का ही विषय है और पुलिस के दायरे में ही आता है। उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल का अपग्रेडेशन करना बेहद जरूरी है।
गृहमंत्री शाह का एयरपोर्ट पर स्वागत
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह का शुक्रवार को लखनऊ पहुंचने पर पार्टी नेताओं ने अमौसी एयरपोर्ट पर स्वागत किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डा. दिनेश शर्मा भी एयरपोर्ट पहुंचे।
शाह की अगवानी के लिए प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना, आशुतोष टंडन, सिद्धार्थनाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा, ब्रजेश पाठक, चेतन चैहान, सुरेश राणा, दारा सिंह चैहान, सतीश द्विवेदी, अनिल राजभर, गुलाबो देवी, सुरेश पासी, उपेंद्र तिवारी, स्वाति सिंह, मोहसिन रजा और महापौर संयुक्ता भाटिया भी पहुंचे। संगठन की ओर से उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर, सुधीर हलवासिया, रंजना उपाध्याय, बीएल वर्मा, प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक, गोविंद नारायण शुक्ला, संजय राय, महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा व जिलाध्यक्ष राम निवास यादव ने भी अगवानी की।
इन तीन सत्रों को प्रमुख रूप से एडीजी आशुतोष पांडेय, राजा श्रीवास्तव, डीआइजी कलराज महेश कुमार, एसएसपी अलीगढ़ आकाश कुलहरि व अन्य आइपीएस अधिकारी अपने संबोधित किया। इससे पहले गुरुवार को पुलिस साइंस कांग्रेस में गुरुवार को महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा से लेकर फोरेंसिक साक्ष्यों के बढ़ते महत्व पर मंथन हुआ। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने आने वाले दिनों में पुलिसिंग को और प्रभावी बनाने की दिशा में विचार व्यक्त किए।