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Ayodhya Verdict : दिसंबर के पहले सप्ताह में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दायर करेगा रिव्यू पिटीशन

After Ayodhya Verdict ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि सभी मुस्लिम संगठन पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर एक राय रखते हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 01:55 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 07:13 AM (IST)
Ayodhya Verdict : दिसंबर के पहले सप्ताह में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दायर करेगा रिव्यू पिटीशन
Ayodhya Verdict : दिसंबर के पहले सप्ताह में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड दायर करेगा रिव्यू पिटीशन

लखनऊ, एएनआइ। अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) दिसंबर माह के पहले सप्ताह में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहा है। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड का फैसला कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा। सभी मुस्लिम संगठन पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर एक राय रखते हैं।

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बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के निर्णय पर कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करना चाहता है, न करे। अगर एक भी पक्षकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में हैं तो भारतीय संविधान उसे पूरा अधिकार देता है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड खुदमुख्तार इदारा है। वह इलेक्टेड बॉडी है। बोर्ड को अधिकार है कि वह फैसला ले कि उसको पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी है या नहीं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट का फैसला नामंजूर

17 नवंबर, 2019 को लखनऊ में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की अहम बैठक में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अनुचित बताते हुए नामंजूर कर दिया गया था। निर्णय लिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करेगा। बोर्ड ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ भूमि अन्यत्र लेने से भी यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि यह शरीयत के खिलाफ है। बोर्ड में पचास सदस्य हैं, जिसमें लगभग 35 सदस्यों के अतिरिक्त विशेष आमंत्रित मुस्लिम नेता भी उस बैठक में शामिल हुए थे। करीब तीन घंटे तक चली बैठक में उच्चतम न्यायालय के फैसले के तमाम बिंदुओं की समीक्षा की गई। बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता में बोर्ड के सचिव और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर नहीं है। यह महसूस किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कई बिंदुओं पर न केवल विरोधाभास है, बल्कि प्रथमदृष्टया अनुचित प्रतीत होता है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं दायर करेगा पुनर्विचार याचिका

वहीं, अपनी बात पर कायम सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि अयोध्या पर उसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार है और पुनर्विचार याचिका नहीं दायर की जाएगी। 26 नवंबर को लखनऊ में हुई बैठक में बहुमत से इस निर्णय पर मुहर लगा दी गई है। हालांकि बैठक में पांच एकड़ भूमि पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। इस पर राय बनाने के लिए सदस्यों ने और वक्त मांगा है। अयोध्या फैसला आने के बाद ही पक्षकार और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारुकी ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से इन्कार कर दिया था। बैठक के बाद फारुकी ने बताया कि सात में से छह सदस्यों की सहमति से निर्णय हुआ है कि पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जाएगी। एकमात्र सदस्य अब्दुल रज्जाक ही याचिका के पक्ष में थे लेकिन, हमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ हमारी नहीं, बल्कि अन्य मुस्लिम संगठनों की भी राय थी।


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