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After Ayodhya Verdict : योगी आदित्यनाथ सरकार की तैयारी, कंबोडिया के सीएम रीप जैसी होगी अयोध्या की 'इक्ष्वाकुपुरी'

राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद सरकार अयोध्या को विश्व मानचित्र पर धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की कार्ययोजना बनाने में जुट गई है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 09:37 AM (IST)
After Ayodhya Verdict : योगी आदित्यनाथ सरकार की तैयारी, कंबोडिया के सीएम रीप जैसी होगी अयोध्या की 'इक्ष्वाकुपुरी'
After Ayodhya Verdict : योगी आदित्यनाथ सरकार की तैयारी, कंबोडिया के सीएम रीप जैसी होगी अयोध्या की 'इक्ष्वाकुपुरी'

लखनऊ, जेएनएन। पावन सरयू के मनोरम तट पर बसी रामनगरी अयोध्या। चलते-चलते कभी दंडकारण्य में प्रवेश कर गए तो कभी पहुंच गए घने विंध्यारण्य में। सहसा वैदिक मंत्रोच्चार आपके कानों में गूंजने लगेंगे और उस तरफ बढ़ते ही यज्ञशाला दिख जाए, गुरुकुल के दृश्य आपको रोक लें। इधर-उधर स्थापित देवालय भक्ति-भाव से विभोर कर देंगे तो भगवान राम सहित इक्ष्वाकु वंश के चक्रवर्ती राजाओं के भव्य महल रोमांचित कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार अयोध्या में 'इक्ष्वाकुपुरी' कुछ ऐसे ही विकसित करने की तैयारी है, जैसा आपने त्रेतायुग के बारे में पौराणिक कथाओं में पढ़ा-सुना है।

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राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद प्रदेश सरकार अयोध्या को विश्व मानचित्र पर धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने की वृहद कार्ययोजना बनाने में जुट गई है। कंबोडिया के आध्यात्मिक-सांस्कृतिक नगर सीएम रीप की तर्ज पर अयोध्या में इक्ष्वाकुपुरी बसाने की तैयारी है। कई दिनों के मंथन के बाद एक कार्ययोजना प्रस्तावित की गई है, जिसका प्रस्तुतीकरण पिछले दिनों पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने किया गया।

इसके अनुसार अयोध्या में गुप्तारघाट से ब्रह्मकुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे इक्ष्वाकुपुरी नाम से ग्रीन सिटी बसाई जानी है। सरकार का मानना है कि धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से अयोध्या में वह संभावना है कि हिंदुओं की आस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित हो सके। इक्ष्वाकुपुरी के रूप में सरयू के तट पर एक आध्यात्मिक-सांस्कृतिक नगरी की स्थापना विश्वभर के श्रद्धालु व पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है। इसे विकसित करने के लिए नुजूल, वन और उद्यान विभाग की भूमि का उपयोग करने की योजना है। इस ग्रीन सिटी में निर्मित क्षेत्रफल अधिकतम पांच फीसद ही होगा। इक्ष्वाकुपुरी का विकास पूर्व एशियाई हिंदू वास्तुशैली और भारत की तीनों मंदिर वास्तुशैली (नागर, द्रविड़ और बेसर) के मिश्रण से किया जाएगा। भवन निर्माण की अन्य प्राचीन शैलियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ पैवेलियन बनाए जाएंगे। यह दुनिया के उन नगरों की प्रतीकात्मक प्रतिकृति होंगे, जो राम और इक्ष्वाकु वंश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें रामावती (म्यांमार) और जनकपुर (नेपाल) भी शामिल हैं।

सरकार ने अयोध्या में सरयू नदी के किनारे इक्ष्वाकुवंश के प्रतापी राजाओं, मनु, इक्ष्वाकु, मान्धाता, रघु, हरिश्चंद्र, दिलीप, भगीरथ, अज, दशरथ के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व से जनमानस को परिचित कराने के लिए इक्ष्वाकुपुरी योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस योजना का प्रजेंटेशन सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने हुआ। अयोध्या के गुप्तार घाट से ब्रह्मकुंड गुरुद्वारे तक सरयू नदी के किनारे के पूरे क्षेत्र को इक्ष्वाकुपुरी ग्रीन सिटी के तौर पर विकसित करने की योजना है। इक्ष्वाकुपुरी के एक तरफ सरयू नदी के किनारे रिवर फ्रंट बनेगा। इक्ष्वाकुपुरी में इक्ष्वाकु वंश के राजाओं, खासतौर पर राम के जीवन से जुड़ी घटनाओं और वैश्विक स्तर पर उनकी उपस्थिति से जुड़े ऐतिहासिक चित्र, लघु फिल्मों, डाक्यूमेंट्री, डिजिटल किताबों आदि का प्रदर्शन होगा। इक्ष्वाकुपुरी में आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता का संगम होगा। राम में आस्था रखने वालों में भारत समेत 100 से ज्यादा देशों में है। इक्ष्वाकुपुरी में पूर्व एशियाई हिंदू वास्तु शैली और निमनागर, द्रविड़ और बेसर शैली का साझा प्रयोग होगा। अयोध्या को विकसित करने के लिए चार बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें राम मंदिर, इक्ष्वाकुपुरी का निर्माण, मौजूदा शहर को कुंभ सिटी का स्वरूप देने के लिए सुविधाएं और अयोध्या के बाहरी क्षेत्र को आसपास कशहरों व बड़े राजमार्गों से जोड़ने के लिए 4-लेन सड़कों, ओवरब्रिज, बाईपास, एयरपोर्ट आदि का निर्माण शामिल है। 

हर राज्य को मिलेगी जमीन

इक्ष्वाकुपुरी में भारत के सभी राज्यों को एक निश्चित क्षेत्र में भूमि आवंटन करने की योजना है। वहां वे राज्य अपने गेस्ट हाउस और प्रमुख धार्मिक स्थलों का मल्टीमीडिया प्रेजेंटेशन कर सकेंगे।

सभी प्रमुख संतों के होंगे आश्रम

भारत के सभी प्रमुख संत और आध्यात्मिक केंद्रों को भी भूमि दी जाएगी। वहां उनके शिष्य और अनुयायियों के लिए साधना, अभ्यास, शोध आदि की सुविधा विकसित की जाएगी। बाली (इंडोनेशिया) और अंकोरवाट के आध्यात्मिक केंद्रों को भी आमंत्रित किया जा सकता है।

महिला सशक्तिकरण का भी मिलेगा संदेश

इक्ष्वाकु वंश की सभी प्रतापी रानियों की जीवन गाथा पर प्रकाश डालने के लिए पैवेलियन बनाया जाएगा। इसमें वेद, शास्त्र और उपनिषदों में वर्णित अन्य विदुषी और प्रभावशाली महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व होगा। इससे दुनिया को महिला सशक्तिकरण का भी संदेश देने का प्रयास है।

परियोजना में प्रस्तावित प्रमुख बिंदु

- चारों वेदों, प्रमुख ग्रंथों, उपनिषदों के महत्वपूर्ण विषयों का ऑडियो-विजुअल चित्रण होगा।

- प्रमुख ऋषियों का जीवन दर्शन बताया जाएगा। गुरुकुल भी स्थापित किए जाएंगे।

- शास्त्रों में वर्णित अरण्य (वन) क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। इनमें दंडकारण्य, विंध्यारण्य, धर्मारण्य, वेदारण्य आदि हैं।

- शास्त्रों में उल्लिखित सभी जलाशय-सरोवर पुनर्जीवित होंगे।

- इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा मनु, इक्ष्वाकु, मान्धाता, रघु, हरिश्चंद्र, दिलीप, भगीरथ, अज, दशरथ, राम की गौरवगाथा आदि का वर्णन विभिन्न माध्यमों से किया जाएगा।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी से की शिष्टाचार भेंट

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री को 'रामायण की कहानी विज्ञान की जुबानी' पुस्तक भेंट की।

यह पुस्तक वाल्मीकि रामायण में दिए गए खगोलीय संदर्भों के आकाशीय चित्र तथा अन्य वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित है। योगी आदित्यनाथ ने इस मुलाकात के बारे में ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री का सानिध्य 'सबका साथ सबका विकास' के संकल्प को साकार करने के लिए नई ऊर्जा प्रदान करता है। दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी की पुत्री के विवाह समारोह में भी शामिल हुए। 


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