After Ayodhya Verdict : स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती बोले- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दिया गैर जिम्मेदाराना चरित्र का परिचय
After Ayodhya Verdict अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को आड़े हाथों लिया है।
लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पुनर्विचार याचिका दायर करने के फैसले की संत समिति ने भी आलोचना की है। इनके इस कदम पर अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को आड़े हाथों लिया है।
स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि बोर्ड ने जिस तरह की बैठक की और कहा कि हम रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे, यह देश के सामने उन्होंने गैर जिम्मेदाराना चरित्र का परिचय दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से पहले सबने कहा था कि हम इस फैसले को मानेंगे, चाहे निर्णय जो हो। हम एक बात जरूर पूछना चाहेंगे कि आप किसको धोखा दे रहे हैं, देश को? अपनी कौम को या हिंदू समाज को? आपके विश्वास और आस्थाओं के हिसाब से हिंदू समाज नहीं चलता है। यह देश चलता है संविधान से, शरीया से नहीं और अंग्रेजों के समय से ही हमारे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियां जीवंत व्यक्ति का दर्जा प्राप्त हैं।
उन्होंने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमाएत-ए-उलेमा-ए-हिंद , दोनों सुप्रीम कोर्ट में पार्टी नहीं हैं। लिहाजा यह ढोंग बंद करिए। सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी, दोनों पार्टी थे। इन दोनों ने कोर्ट के फैसले को माना है। हम इनका स्वागत करते हैं।
बात से मुकरना ठीक नहीं
केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि अयोध्या मामले में जो लोग पहले अदालत का निर्णय मानने की बात कर रहे थे, वह अब अपनी बात से मुकर रहे हैं। सर्वोच्च अदालत में रिव्यू पिटीशन दायर करने की बात कह रहे हैं। मथुरा के वृंदावन में अखंड दया धाम में रविवार को आयोजित धर्म सभा में शामिल होने आईं साध्वी ने ओवैसी के बयान पर कहा, जिन लोगों को भारत की न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं है, वह इस तरह की बात करके देश के सौहार्द को बिगाडऩे की कोशिश कर रहे हैं।
साध्वी ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद देश को सुखद सूचना मिली है। मैं राममंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हूं। वहीं से निकली हूं, सालों के आंदोलन के बाद मन को शांति मिली है तो देश में सौहार्द बनाए रखना जिम्मेदारी होगी। अदालत ने साक्ष्य के आधार पर निर्णय दिया है। पूरे देश ने इसे स्वीकार किया है, चाहे हिंदू हो या मुसलमान। ऐसे में पुनर्विचार याचिका की बात माहौल बिगाडऩे की कोशिश है।