बलिदान दिवस : सीएम योगी आदित्यनाथ ने डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अर्पित किया श्रद्धा सुमन
Dr Shyama Prasad Mukherjee 66th Death Anniversary सीएम योगी आदित्यनाथ ने सिविल हॉस्पिटल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 66वीं पुण्य तिथि पर उनकी प्रतिमा को पुष्प अर्पित किया।
लखनऊ, जेएनएन। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया गया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सेवा कार्यों के साथ मंडल स्तर पर डिजिटल गोष्ठियां आयोजित कर डॉ.मुखर्जी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल परिसर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद आपातकालीन वार्ड में स्थापित किए गए वेंटिलेटर्स का लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री ने अस्पताल में भर्ती रोगियों से उनकी कुशलक्षेम लेने के बाद चिकित्सालय की व्यवस्था के बारे में भी जानकारी ली।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) हॉस्पिटल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 66वीं पुण्य तिथि पर उनकी प्रतिमा को पुष्प अर्पित किया। उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के साथ स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी थे। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने सिविल हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। इस दौरान ओपीडी भी चल रही थी। उन्होंने इलाज कराने आए लोगों से बात करने के साथ ही वेंटिलेटर सुविधा सेवा का भी उद्घाटन किया। सिविल हॉस्पिटल को सोमवार को ही 12 वेंटिलेटर मिले हैं। इनमें सात पीआईसीयू, एक नियोनेटल, दो इमरजेंसी वार्ड और दो कार्डियक वॉर्ड में लगे हैं। इसके बाद वह अपने सरकार आवास रवाना हो गए।
भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर पर विभिन्न सेवा कार्यों के साथ मंडलों में डिजिटल गोष्ठियों में डॉ.मुखर्जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35 ए को समाप्त कर डॉ. मुखर्जी के सपने को साकार किया है। देश की एकता व अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने का जो मार्ग डॉ. मुखर्जी ने प्रशस्त किया, भाजपा उसी पर आगे बढ़ रही है।
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि उन्होंने गांव गरीब किसान आदिवासी और वनवासी की आर्थिक, सामजिक व राजनीतिक समृद्धि का मंत्र दिया था। उसके ही आधार पर आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लिया गया है। पार्टी मुख्यालय में संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद कहा कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35 ए की समाप्ति से राष्ट्रवादी विचारधारा की जीत हुई। एक निशान, एक विधान और एक संविधान की भावना को मजबूत बनाने के लिए भाजपा का एक एक कार्यकर्ता संकल्पबद्ध है। कार्यक्रम समन्वयक त्रयंबक तिवारी ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने अपने घरों पर भी डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए।
मंत्रियों ने भी दी डा.मुखर्जी को श्रद्धांजलि : जनसंघ संस्थापक डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी को बलिदान दिवस पर विभिन्न मंत्रियों ने भी अपने आवास व कार्यालयों में श्रद्धासुमन अर्पित किए। धारा 370 व 35 ए समाप्त किए जाने के बाद मनायी जा रही डॉ.मुखर्जी की पुण्यतिथि पर कोरोना संकट की छाया जरूर रही लेकिन, भाजपा के अधिकतर प्रमुख नेताओं ने सुरक्षित शारीरिक दूरी का पालन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने अपने आवास पर तथा गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने कार्यालय में डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह, पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह, व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल व खेल राज्य मंत्री उपेंद्र तिवारी ने भी डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उनको याद किया।
रहस्यमय परिस्थितियों में हो गई थी मौत : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। भारतीय जनता पार्टी इस दिन को 'बलिदान दिवस' के रूप में मनाती है। भारतीय जनता पार्टी इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाती है। उनकी पुण्य तिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. मुखर्जी को याद करते हुए ट्वीट किया है, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक देशभक्त और स्वाभिमानी राष्ट्रवादी थे और उन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। एक मजबूत और एकजुट भारत के लिए उनका जुनून हमें प्रेरित करता है और हमें 130 करोड़ भारतीयों की सेवा करने की ताकत देता है।
33 साल की उम्र में बने कुलपति : डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म छह जुलाई 1901 को कोलकाता के एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था, जो बंगाल में एक शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी के रूप में जाने जाते थे। कोलकाता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1926 में सीनेट के सदस्य बने। वर्ष 1927 में उन्होंने वकालत की परीक्षा पास की। इसके बाद 33 वर्ष की उम्र में कलकत्ता यूनिवॢसटी के कुलपति बने थे। यहां पर चार साल के कार्यकाल के बाद कांग्रेस की ओर से कोलकाता विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस से मतभेद होने के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया और उसके बाद फिर से स्वतंत्र रूप से विधानसभा पहुंचे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपनी अंतरिम सरकार में मंत्री बनाया था। वह बहुत छोटी अवधि के लिए मंत्री रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कई मतभेद थे। यह मतभेद तब और बढ़ गए जब नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच समझौता हुआ। इसके समझौते के बाद छह अप्रैल 1950 को उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने नेहरू पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।
कश्मीर में अनुच्छेद 370 के विरोध : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर में अनुच्छेद 370 के विरोध में वह इस बात पर दृढ़ थे कि एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। वह चाहते थे कि कश्मीर में जाने के लिए किसी को अनुमति न लेनी पड़े। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-संघचालक गुरु गोलवलकर से परामर्श लेकर मुखर्जी ने 21 अक्टूबर 1951 को राष्ट्रीय जनसंघ की स्थापना की, जिसका बाद में जनता पार्टी में विलय हो गया और फिर पार्टी के बिखराव के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ।