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Rajasthan: शहरी निकायों के अध्यक्ष के लिए कांग्रेस ने 49 व भाजपा ने 48 प्रत्याशी उतारे

President of Urban Bodies in Rajasthan. सत्तारूढ़ कांग्रेस ने जहां सभी जगह अपने प्रत्याशी उतारे हैं वहीं भाजपा ने 49 में से 48 जगह अपने प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 06:48 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:48 PM (IST)
Rajasthan: शहरी निकायों के अध्यक्ष के लिए कांग्रेस ने 49 व भाजपा ने 48 प्रत्याशी उतारे
Rajasthan: शहरी निकायों के अध्यक्ष के लिए कांग्रेस ने 49 व भाजपा ने 48 प्रत्याशी उतारे

जयपुर, जेएनएन। President of Urban Bodies in Rajasthan. राजस्थान में 49 शहरी निकायों के अध्यक्ष के लिए 26 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन भरने का काम गुरुवार को पूरा हो गया। 49 निकायों में कुल 100 से ज्यादा प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने जहां सभी जगह अपने प्रत्याशी उतारे हैं, वहीं भाजपा ने 49 में से 48 जगह अपने प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। एक निकाय मकराना में निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया गया है। इस बीच, चुनाव से पहले पार्षदों को अपने पक्ष में करने की खींचतान भी शुरू हो गई है।

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राजस्थान में 16 नवंबर को 49 निकायों के चुनाव हुए थे और 19 नवंबर को हुई मतगणना में कांग्रेस को 20 तथा भाजपा को छह निकायों में स्पष्ट बहुमत मिला था। वहीं, 23 निकाय ऐसे हैं जहां दोनों दलों को निर्दलियों का समर्थन लेना होगा। इसके बावजूद कांग्रेस ने सभी 49 और भाजपा ने 49 में से 48 जगह अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। दोनों दलों ने अपने प्रत्याशियों को गुरुवार को सिंबल दे दिए, क्योंकि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के लिए उसके नामांकन के साथ सिंबल होना अनिवार्य था। भाजपा ने मकराना में एक निर्दलीय प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया है। अब शुक्रवार को नामांकन पत्रो की जांच होगी और शनिवार को नाम वापस लिए जा सकेेंगे। ऐसे में शनिवार को पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।

इस बीच, दोनों दलों के नेता संबंधित निकायों में निर्वाचित पार्षदों को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार अब निकायवार व्यूह रचना में जुटे हुए हैं। कांग्रेस का फोकस उन 23 निकायों पर है, जहां निर्दलियों के सहयोग से बोर्ड बनना है। कांग्रेस ने जिलों के प्रभारी मंत्रियों, संगठन प्रभारियों और जिलाध्यक्षों को निकाय चुनाव की पूरी जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने निकाय प्रमुखों के चुनाव तक खुद के पार्षदों के साथ-साथ निर्दलीय पार्षदों की घेराबंदी शुरू कर दी गई है। पूरा काम प्रभारी मंत्रियों, विधायकों और जिलाध्यक्ष की देखरेख में हो रहा है। ज्यादातर मंत्री जिलों में है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने मीडिया से बातचीत में 30 से ज्यादा निकायों में कांग्रेस का बोर्ड बनने का दावा किया है और कहा है कि यह जनादेश सरकार और कांग्रेस पार्टी की नीतियों के पक्ष में है। उन्होंने भाजपा के पार्षदों की घेराबंदी के आरोप को भी पूरी तरह नकारा है।

वहीं, भाजपा ने भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को संबंधित निकायों में भेजा हुआ है और वे वहां अपने पार्षदों सहित निर्दलिय पार्षदों को अपने पक्ष में करने में जुटे हैं। हालांकि यहां इस काम की माॅनिटरिंग प्रदेश स्तर से भी की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर यह माॅनिटरिंग कर रहे हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि प्रदेश में सरकार कांग्रेस की है, इसलिए वह 30 क्या बल्कि पूरे 49 निकायों में अध्यक्ष बनने का दावा कर सकती है।

सरकार चुनाव में सरकारी मशीनरी का पूरा दुरुपयोग कर रही है। लेकिन हम इसका पूरा मुकाबला करेंगे। इसीलिए 49 में से 48 निकायों में हमने अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं और एक जगह समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि यह जनादेश सरकार के पक्ष मे कतई नहीं है, क्योंकि कांग्रेस और भाजपा को मिले वोटों में सिर्फ अस्सी हजार का अंतर है। वहीं, सीटों में भी अंतर बहुत ज्यादा नही है। बल्कि तीन बड़े नगर निगमों में तो कांग्रेस हमसे हारी है।

खींचतान शुरू

इस बीच, बोर्ड बनाने के लिए समर्थन जुटाने की खींचतान भी शुरू हो गई है। अलवर में भाजपा के जिला अध्यक्ष संजय शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार के श्रम राज्यमंत्री टीकाराम जूली ने पुलिस के साथ एक रिसोर्ट में प्रवेश कर भाजपा को समर्थन दे रहे एक पार्षद को अपने साथ ले गए और दो खुद उनके साथ चले गए। इसी तरह चूरू में तीन भाजपा पार्षद कांग्रेस के खेमे में चले गए। इसी तरह की खींचतान राज्य के अन्य निकायों में भी नजर आ रही है और पार्टियों को पार्षदों पर कडी नजर रखनी पड़ रही है। 

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