महाराष्ट्र की चूहा कथा: चूहामार कंपनी के फंदे में फडणवीस सरकार, उठ रहे सवाल
खोदा पहाड़ निकला चूहा' कहावत तो आपने सुनी होगी, लेकिन 'चूहे से निकला घोटाला' महाराष्ट्र में इन दिनों सुर्खियों में है। चलिए जानें क्या है मंत्रालय की पूरी चूहा कथा...
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। महाराष्ट्र में चूहों को लेकर राज्य सरकार को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। आपको भी अपने घर में कभी न कभी चूहों से परेशान होना पड़ा होगा। हो भी क्यों न! चूहे ऐसा नुकसान कर जाते हैं, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। अपने आरी जैसे पैने दातों के दम पर चूहे लकड़ी तक को कुरेद देते हैं। चूहों ने महाराष्ट्र के विधानसभा भवन 'मंत्रालय' में भी कोहराम मचाया हुआ है। लेकिन यह कोहराम चूहों की वजह से नहीं, चूहों को पकड़ने और मारने को लेकर मचा है। 'खोदा पहाड़ निकला चूहा' कहावत तो आपने सुनी होगी, लेकिन 'चूहे से निकला घोटाला' महाराष्ट्र में इन दिनों सुर्खियों में है। चलिए जानें क्या है मंत्रालय की पूरी चूहा कथा...
एक वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे ने गुरुवार 22 मार्च से शुरू हुए विधानसभा सत्र में एक सनसनीखेज खुलासा किया। इस वरिष्ठ भाजपा नेता ने दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगाया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रति मिनट 31 की दर से चूहों का सफाया किया। बता दें कि यह विभाग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद संभालते हैं। उन्होंने विभाग पर मंत्रालय में चूहे मारने के संबंध में टेंडर जारी करने को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
क्या है पूरा आरोप
खडसे ने विधानसभा में अपने भाषण में कहा, 'बीएमसी ने दो साल में 6 लाख चूहे मारे, लेकिन जिस कंपनी को मंत्रालय से चूहे मारने का कॉन्ट्रैक्ट मिला, उसने तो सिर्फ एक हफ्ते में ही 3,19,400 चूहों का सफाया कर डाला। क्या यह संभव है?' उन्होंने कहा, 'बिल और सुपरवाइजरी बुक के अनुसार सिर्फ सात दिन में इतना बड़ा काम हो गया। इन आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रतिदिन 45,628.57 चूहे मारे गए। यानी हर घंटे 1901.19 चूहे मारे गए, यानी हर एक मिनट में कंपनी ने 31.68 चूहों का सफाया कर दिया। इस तरह से सभी मारे गए चूहों का कुल वजन 9.125 टन होगा, क्या सरकार बता सकती है कि इतनी बड़ी संख्या में चूहों को कहां फेंका गया है?'
जांच की मांग
खडसे यहां तक ही नहीं रुके। उन्होंने कहा, टेंडर में इस काम के लिए 6 महीने का समय निर्धारित किया गया है। जबकि वर्क ऑर्डर में यह सिर्फ दो महीने है। टेंडर और वर्क ऑर्डर में इतना अंतर क्यों? उन्होंने चूहे मारने के लिए इस्तेमाल की गई पूरी टेंडर प्रक्रिया की जांच की मांग उठाई।
तीन लाख चूहे नहीं गोलियां...
एकनाथ खडसे ने सरकार पर जिस तरह के सनसनीखेज आरोप लगाए, उससे सरकार की परेशानी बढ़ गई। इन आरोपों के एक दिन बाद यानी शुक्रवार 23 मार्च को भाजपा विधायक राम कदम सामने आए। उन्होंने आंकड़ों को समझने में खडसे से हुए एक त्रुटि की तरफ इशारा किया। कदम ने बताया कि 3,19,400 चूहे नहीं मारे गए, बल्कि चूहे मारने के लिए इतनी बड़ी संख्या में गोलियों का इस्तेमाल किया गया है। कितने चूहे मरे यह गिनने के लिए कोई मशीन नहीं है। लोग यूं ही अंदाजा लगा रहे हैं कि हर रोज 45 हजार चूहे मारे गए, जो गलत है।
सरकार का पक्ष भी जान लें
अपने ही नेता एकनाथ खडसे के आरोपों से आहत महाराष्ट्र सरकार के पीडब्ल्यूडी सचिव ने कहा, विभाग ने साल 2016 में मंत्रालय और इसकी एनेक्सी बिल्डिंग से चूहों को मारने या कंट्रोल करने के लिए दो टेंडर जारी किए थे। इसके तहत चूहे मारने के लिए 3,19,400 गोलियां खरीदी गईं, न कि इतने चूहे मारे गए। पीडब्ल्यूडी ने यह भी साफ किया कि प्रति गोली 1.5 रुपये खर्च हुआ और इस तरह से इस पूरे कॉन्ट्रैक्ट पर 4,79,100 रुपये खर्च हुए।
कहां है चूहामार कंपनी?
विभाग से मंत्रालय में चूहे मारने के लिए जिस कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया उसे लेकर एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। 'विनायक को-ऑपरेटिव लेबर ऑर्गेनाइजेशन' ही वह कंपनी है, जिसे मंत्रालय से चूहों के सफाए का टेंडर जारी हुआ था। एक अंग्रेजी चैनल के अनुसार जब उन्होंने कंपनी के पते को खंगाला तो यह दक्षिण मुंबई के मझगांव में सूर्यकुंड को-ऑप हाउसिंग सोसाइटी का था। इस एड्रेस पर शेडगे परिवार रहता है, जिसका दावा है कि वह 45 साल से इसी पते पर रह रहा है। उनके अनुसार उनके घर का कोई भी सदस्य ऐसी किसी कंपनी से जुड़ा नहीं है। सरकार का दावा है कि चूहेमार कंपनी ने 3 लाख से ज्यादा चूहामार गोलियों का इस्तेमाल किया, लेकिन कंपनी के फर्जी पते को लेकर सरकार फंसती दिख रही है।