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3 लाख से अधिक जहर के गोलियों की संख्या, मरने वाले चूहों की नहीं: महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री का बयान- चूहों के खतरे के कारण मई 2016 में महाराष्ट्र सचिवालय में 3 लाख से अधिक जहर की गोलियां रखी गईं।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 26 Mar 2018 02:57 PM (IST)Updated: Mon, 26 Mar 2018 03:02 PM (IST)
3 लाख से अधिक जहर के गोलियों की संख्या, मरने वाले चूहों की नहीं: महाराष्ट्र सरकार
3 लाख से अधिक जहर के गोलियों की संख्या, मरने वाले चूहों की नहीं: महाराष्ट्र सरकार

मुंबई (पीटीआइ)। एकनाथ खड़से द्वारा चूहा घोटाला उजागर करने के बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्री ने कहा है कि चूहों के खतरे के कारण मई 2016 में महाराष्ट्र सचिवालय में 3 लाख से अधिक जहर की गोलियां रखी गईं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह मारे गए चूहों की संख्या नहीं है। मंत्री का यह बयान भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एकनाथ खडसे द्वारा मंत्रालय में चूहे मारने के कॉन्ट्रैक्ट की जांच की मांग उठाने के बाद आया है।

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खडसे ने 22 मार्च को विधान सभा में बोलते हुए सवाल उठाया था कि मंत्रालय में 3,19,400 चूहों को मारने का कॉन्ट्रैक्ट कंपनी ने केवल सात दिनों में कैसे पूरा कर दिया? जिसके जवाब में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि 3,19,400 जहर की गोलियां चूहों को मारने के लिए मंत्रालय में रखी गई थीं, ये चूहों के मरने की संख्या नहीं है।

खडसे के आरोप

दक्षिण मुंबई में सचिवालय परिसर में जहर की गोलियां रखने का कॉन्ट्रैक्ट मिस्टर विनायक मजूर सहकारी संस्था को दिया गया था। इस कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए दो महीने का वक्त दिया गया था। खडसे का कहना है कि चूहे मारने का काम एक हफ्ते के भीतर ही खत्म कर दिया गया। 3-9 मई के बीच कॉन्ट्रैक्ट को पूरा कर लिया गया। पिछले हफ्ते खडसे से आरोप लगाया, 'सर्वे के मुताबिक सचिवालय में 3,19,400 चूहे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस कार्य का आदेश जारी किया गया था। कंपनी को छह महीने तक की समय सीमा दी गई। लेकिन यह कार्य केवल सात दिनों में खत्म कर दिया गया।'

उन्होंने कहा, 'यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि इस कंपनी ने सिर्फ सात दिनों में तीन लाख से अधिक चूहों को मार दिया जबकि बृहन्मुंबई नगर निगम ने छह लाख चूहों को मारने के लिए दो साल का समय लगा दिया। कंपनी द्वारा किए गए दावे में कोई झोल है। इस मामले की जांच होनी चाहिए।' वहीं, किसान धर्मा पाटिल आत्महत्या मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, मंत्रालय के परिसर में कंपनी द्वारा रखे गए जहर को खाकर धर्मा पाटिल नाम के एक किसान ने फरवरी में आत्महत्या कर ली थी। बता दें कि पाटिल ने भूमि अधिग्रहण को लेकर मुआवजा दिए जाने में अन्याय होने का आरोप लगाते हुए मंत्रालय में जहर खा लिया था और कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई थी। खडसे ने कहा कि इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि क्या कंपनी को जहर का इस्तेमाल करने की इजाजत थी या नहीं।

इस बीच पीडब्ल्यूडी मंत्री ने कहा कि 1984 के बाद सरकारी फाइलों और केबलों के नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए सचिवालय की मुख्य इमारत, उपभवन और आधिकारिक फाइलों और केबलों के नेटवर्क की रक्षा के लिए जहर की गोलियों को सचिवालय में रखा गया था। उन्होंने बताया, चूहों को मारने के लिए जिंक फास्फाइड के जहर को खाने के साथ मिलाकर रखा जाता है, ताकि चूहे उस चाल में फंस जाए और उन्हें आसानी से मारा जा सके।


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