येद्दयुरप्पा का इस्तीफा, कुमारस्वामी के लिए रास्ता साफ, गठबंधन को एकजुट रखने की चुनौती
कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा जुटा पाने में असफल रहे मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा जुटा पाने में असफल रहे मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे की घोषणा के पहले अपने भावुक भाषण में उन्होंने कर्नाटक के विकास के लिए पूरी जिंदगी काम करने का वायदा किया और यह भरोसा भी जता दिया कि अगले चुनाव मे भाजपा 150 का आंकड़ा लाएगा। येद्दयुरप्पा के इस्तीफे के साथ ही कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस नेता कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल जल्द ही उन्हें चुनाव के बाद सबसे बड़े गठबंधन के रूप में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे।
-बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं जुटा पाए येद्दयुरप्पा
-विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के पहले ही दिया इस्तीफा
-कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे राज्यपाल
सुप्रीम कोर्ट ने गड़बड़ाया गणित
संख्या बल से महज आठ कदम दूर खड़े येद्दयुरप्पा ने यह संदेश देने की कोशिश की कि सबसे बड़े लिंगायत समुदाय के नेता के रूप में कांग्रेस और जेडीएस के कई विधायक समर्थन करने को तैयार हैं। बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल से 15 दिन का समय मिलने के बाद येद्दयुरप्पा के दावे पर यकीन भी होने लगा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनका सारा गणित गड़बड़ा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक दिन के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया। लेकिन कांग्रेस और जेडीएस ने अपने विधायकों को इस कदर सुरक्षित कर लिया कि विधायकों के टूटने की कोई आशंका ही न बचे। संख्या बल नहीं जुटा पाने की बेचैनी दोपहर बाद भाजपा खेमे में दिखने भी लगी।
प्रोटेम स्पीकर द्वारा सभी विधायकों को शपथ दिलाने और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक चार बजे शक्ति परीक्षण के पहले येद्दयुरप्पा ने अपना भाषण शुरू किया। उन्होंने जिस तरह से कर्नाटक में किसानों की आत्महत्या, पानी की समस्या और विकास की बात शुरू की और इसके लिए पूरी जिंदगी लड़ने का ऐलान किया, उससे यह साफ हो गया कि बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचने में वे विफल रहे हैं। अंत में उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा कर राज्यपाल भवन जाकर इस्तीफा दे दिया।
मोदी-शाह ने बनाए रखी थी दूरी
इस्तीफे से पहले येद्दयुरप्पा भले ही उनपर भरोसे के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को धन्यवाद दिया हो, लेकिन हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों को ही उनके दावे पर सौ फीसदी भरोसा नहीं था। यही कारण है कि चुनाव परिणाम के दिन सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा के सामने आने के लिए पार्टी मुख्यालय से कर्नाटक की जनता को आभार जताने के अलावा दोनों ने ही पूरे मामले से दूरी बनाए रखी। सूत्र बताते हैं कि येद्दयुरप्पा को यह संदेश दे दिया गया था कि अनैतिक कदम न उठाए जाएं। मुख्यमंत्री के रूप में येद्दयुरप्पा के शपथग्रहण में भी पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को नहीं भेजा गया और उन्हें अकेले ही शपथ लेना पड़ा।
कुमारस्वामी का मुख्यमंत्री बनना तय
येद्दयुरप्पा की ढाई दिन की सरकार गिरने के बाद कुमारस्वामी का एक बार फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। माना जा रहा है कि राज्यपाल कभी भी उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं और अगले कुछ दिनों में नए मंत्रिमंडल का शपथग्रहण हो सकता है, लेकिन कुमारस्वामी के सामने भी नए गठबंधन को एकजुट रखने की चुनौती होगी। कांग्रेस के निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष समेत राज्य के कई वरिष्ठ नेता जेडीएस के साथ गठबंधन पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठा चुके हैं।