राफेल सौदे की जांच की मांग को लेकर यशवंत सिन्हा, शौरी और भूषण पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
2007 में 126 विमान खरीदने की डील हो रही थी जो कि अंत में दोगुनी से ज्यादा कीमत पर 36 विमान खरीदने के सौदे में तब्दील हो गए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच की मांग को लेकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। तीनों ने बुधवार को याचिका दाखिल कर राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआइ को मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश देने की मांग की है। उन लोगों का कहना है कि उन्होंने गत 4 अक्टूबर को ही सीबीआइ को इस बारे में लिखित शिकायत दी थी, लेकिन सीबीआई ने आज तक मामले मे एफआइआर दर्ज नहीं की है।
राफेल को लेकर पहले ही दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भारत सरकार से 29 अक्टूबर तक सील बंद लिफाफे में सौदे का फैसला करने की निर्णय प्रक्रिया दाखिल करने को कहा था और मामले को 31 अक्टूबर को फिर सुनवाई के लिए लगाए जाने का आदेश दिया था। हालांकि उस आदेश में कोर्ट ने साफ कहा था कि वह विमानों की गुणवत्ता उसके तकनीकी पहलू या कीमत के बारे में कोई जानकारी नहीं मांग रहा है। अब तीन और याचिकाकर्ता पहुंच गए हैं।
याचिका में सीबीआइ और भारत सरकार को पक्षकार बनाते हुए कहा गया है 4 अक्टूबर को सीबीआइ को राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के बारे में लिखित शिकायत दी थी। इस सबके बावजूद सीबीआइ ने आजतक उनकी शिकायत पर मामला दर्ज नहीं किया। ये गंभीर मसला है। आरोप लगाया गया है कि 2007 में 126 विमान खरीदने की डील हो रही थी जो कि अंत में दोगुनी से ज्यादा कीमत पर 36 विमान खरीदने के सौदे में तब्दील हो गए।
कोर्ट से कहा गया है कि सीबीआइ को आदेश दिया जाए कि वह याचिकाकर्ताओँ की ओर से 4 अक्टूबर को दी गई शिकायत के आधार पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर जांच करे। साथ ही जांच करने वाले अधिकारी को किसी भी तरह के प्रभाव से मुक्त रखा जाए। यह भी मांग है कि भारत सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह इस मामले की जांच कर रहे सीबीआइ के अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं करेगी।