कच्चे तेल को लेकर खाड़ी के बिगड़े हालात, भारत किसी भी असर से निपटने को तैयार
खाड़ी के हालात के मद्देनजर क्रूड की कीमत बढ़ कर 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जाने की आशंका जताई है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।sk
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार मे कच्चे तेल की कीमतों में 5 फीसद की गिरावट जरुर आई है, लेकिन खाड़ी क्षेत्र में जिस तरह के हालात बने हुए हैं उसे देखते हुए भारत के नीति नियामकों की चिंता साफ तौर पर सामने आ रही है।
सउदी अरब के तेल ठिकानों पर हमले के बाद जिस तरह से अमेरिका के नेतृत्व में ईरान के खिलाफ लामबंदी शुरू हुई है उससे आने वाले दिनों में क्रूड के महंगा होने के साथ ही उसकी आपूर्ति पर भी उल्टा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
अपनी जरुरत का 66 फीसद क्रूड ईराक, सउदी अरब, कुवैत जैसे खाड़ी के देशों से खरीदने वाले भारत की चिंता सिर्फ आपूर्ति के प्रभावित होने को लेकर नहीं है बल्कि अगर क्रूड की कीमतों में तेजी से वृद्धि होती है तो इसका खामियाजा अर्थव्यवस्था को भी भुगतना पड़ेगा।
हालात की गंभीरता को देखते हुए भारत ने कूटनीतिक स्तर पर भी अपनी कोशिश तेज कर दी है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने मंगलवार को रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के आला अधिकाारियों के साथ बात की है ताकि जरुरत पड़ने पर रूस से ज्यादा तेल का आयात किया जा सके।
विदेश राज्य मंत्री कुवैत और ईराक की यात्रा पर
भारत के विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन कुवैत और ईराक की यात्रा पर हैं जहां तेल आपूर्ति को लेकर ही सबसे ज्यादा विमर्श हुआ है। अगले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी जब अमेरिका जाएंगे तो वहां उनकी द्विपक्षीय वार्ता में तेल आपूर्ति एक बड़ा मुद्दा रहेगा। अमेरिका हाल के वर्षो में भारत के एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश के तौर पर उभर रहा है।
हालात बिगड़ने पर ईरान से तेल खरीदने का विकल्प खुला
यही नहीं भारत ने जरुरत पड़ने पर ईरान से भी तेल खरीदने के विकल्प को खुला रखा है ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में घरेलू स्तर पर इनर्जी की आपूर्ति बाधित न हो।
प्रतिबंध की वजह से भारत ईरान से तेल नहीं खरीद रहा
विदेश सचिव विजय गोखले दो दिनों की ईरान यात्रा से मंगलवार को स्वदेश लौटे हैं। अभी अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से भारत ईरान से तेल नहीं खरीद रहा है, लेकिन आपातकालीन स्थिति पैदा होने पर प्रतिबंध नजरअंदाज किया जा सकता है।
कुल तेल खपत का 83 फीसद आयात होता है
भारत अभी अपनी कुल तेल खपत का 83 फीसद आयात करता है। इसमें तकरीबन 66 फीसद तेल खाड़ी के देशों से कर रहा है। जबकि 20 फीसद तेल सउदी अरब से खरीद करता है। अब जबकि खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका व ईरान के बीच तनाव बढ़ रहा है तो भारत को आशंका है कि इससे उसकी आपूर्ति बाधित हो सकती है।
भारत तीसरे सबसे बड़ा तेल खरीददार देश
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने भारत की चिंताओं को स्वभाविक बताते हुए कहा कि हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल खरीददार देश है। ऐसे में हम समूचे हालात पर नजर बनाये हुए हैं। कोशिश है कि जिन देशों से तेल खरीदा जाता है उसका दायरा बढ़ाया जाए। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत बढ़ी है उससे भी अधिक चिंता है सउदी के तेल टैंकर पर हमले की। लेकिन अभी तक सउदी अरब से तेल आपूर्ति पर अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है। भारतीय तेल कंपनियों ने सउदी से सोमवार को भी तेल खरीदा और मंगलवार को भी।
उधर, मंगलवार को दुनिया के तमाम क्रूड बाजारों में इसकी कीमत में 5 डॉलर प्रति बैरल तक की कमी आई है। सोमवार को कच्चे तेल की कीमत 19.5 फीसद के इजाफे के साथ 72 डॉलर प्रति बैरल हो गया था। पिछले कुछ महीनों से क्रूड की कीमत काफी स्थिर थी जिसकी वजह से तेल कंपनियों ने रोजाना कीमत तय करने की परंपरा भी अस्थगित कर दी थी।
क्रूड की कीमत बढ़ कर 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने की उम्मीद
कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने खाड़ी के हालात के मद्देनजर क्रूड की कीमत बढ़ कर 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जाने की आशंका जताई है। यह भारतीय इकोनोमी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। मोटे तौर पर क्रूड की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से भारत के चालू घाटे (आयात पर खर्च व निर्यात से अर्जित विदेशी मुद्रा की कमाई का अंतर) 0.4 से 0.5 फीसद तक बढ़ जाता है।