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मारीशस में 18-20 अगस्त तक विश्व हिंदी सम्मेलन

इस आयोजन के साथ ही भारत के अलावा मारीशस दुनिया का पहला देश बन जाएगा जहां विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन तीसरी बार होगा।

By Vikas JangraEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 10:11 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 10:11 PM (IST)
मारीशस में 18-20 अगस्त तक विश्व हिंदी सम्मेलन
मारीशस में 18-20 अगस्त तक विश्व हिंदी सम्मेलन

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन 18-20 अगस्त, 2018 को मारीशस में होने जा रहा है। सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए हर राज्यों के कम से कम दो प्रतिनिधियों के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 17 अगस्त, 2018 को मारीशस पहुंचेंगी।

सम्मेलन के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में स्वराज ने बताया कि इस बार का आयोजन इस लिहाज से अलग होगा कि पहली बार हम यह रिपोर्ट देंगे कि वर्ष 2015 में हुए 10वें सम्मेलन के सुझावों का कितना अनुपालन हुआ है। विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन मारीशस के प्रधानमंत्री परविंद जगन्नाथ करेंगे। इस आयोजन के साथ ही भारत के अलावा मारीशस दुनिया का पहला देश बन जाएगा जहां विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन तीसरी बार होगा।

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स्वराज ने बताया कि इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने सभी 28 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारों को पत्र लिखा था कि वह अपने प्रतिनिधियों की नियुक्ति करें। सभी राज्यों की तरफ से दो दो लोगों की नियुक्ति की गई है। इस तरह से इस सम्मेलन में हर राज्य को प्रतिनिधित्व मिलेगा। इसके अलावा भारत सरकार के आमंत्रण पर हिंदी के जानकार 47 विदेशी नागरिक भी इसमें हिस्सा लेने आ रहे हैं।

व्यक्तिगत तौर पर अभी तक 1422 लोगों ने सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पंजीयन करवाया है। स्वराज एक विशेष विमान से 290 प्रतिनिधियों के साथ मारीशस पहुंचेंगी। वैसे भारत सरकार की तरफ से 377 लोगों का दल इसमें हिस्सा लेगा। सबसे खास बात यह है कि भोपाल में आयोजित सम्मेलन के दौरान 12 सत्रों से जो सुझाव आये हैं उन पर अमल की रिपोर्ट भी इसमें पेश की जाएगी। साथ ही सरकार सम्मेलन में जो सिफारिशें आये उन्हें अगली बार शामिल करने के लिए कदम उठाये जाए।

स्वराज ने बताया कि विश्व हिंदी सम्मेलन का लोगो इस बार खास तौर पर तैयार करवाया गया है जिसमें भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर और मारीशस के राष्ट्रीय पक्षी डोडो के चित्र का इस्तेमाल किया गया है। इसके पीछे सोच यह है कि मारीशस में हिंदी वहां की राष्ट्रीय पक्षी डोडो की तरह ही गायब हो रही है। लेकिन भारतीय पक्षी मोर उसे उसी तरह से बचाता है जैसे भारत वहां हिंदी को बचाने की कोशिश में है।

उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने की कोशिश जारी है लेकिन इसमें कुछ नियमगत अड़चनें आ रही है। बहरहाल भारत की कोशिशों की वजह से संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में साप्ताहिक समाचार बुलेटिन और हिंदी में यूएन के ट्विटर हैंडल की शुरुआत हो चुकी है।


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