कांग्रेस विधायक दांगी के निधन से अब मप्र में 28 विस सीटों पर होगा उपचुनाव, कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं
मध्य प्रदेश के ब्यावरा से कांग्रेस विधायक गोवर्धन दांगी के निधन के बाद अब प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना तय है।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश के ब्यावरा से कांग्रेस विधायक गोवर्धन दांगी के निधन के बाद अब प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना तय है। इनमें से आगर को छोड़कर बाकी सभी सीटें कांग्रेस के खाते से कम हुई हैं। कांग्रेस को अपने बल पर सत्ता में वापसी के लिए सभी सीटें जीतना होंगी।
कांग्रेस को जीतना होगी कम से कम 21
सपा-बसपा व निर्दलीयों समेत सात विधायकों को समर्थन उसे मिल भी जाए तो उसे कम से कम 21 सीटों पर जीत हासिल करना होगी।
भाजपा नौ सीट भी जीती तो बरकरार रहेगी सरकार
वहीं, भाजपा को अपनी सरकार बरकरार रखने के लिए केवल नौ सीटें जीतना होंगी। राजनीतिक दांव-पेच और ऑपरेशन कमल के चलते मध्य प्रदेश विधानसभा की पूरी तस्वीर बदल गई है।
25 विधायकों के इस्तीफे और तीन विधायकों के निधन से रिक्त हुई सीटें
शुरू में सिर्फ दो विधायकों के निधन से रिक्त हुई जौरा और आगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने थे, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार के छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद सिलसिला शुरू हो गया। इसके बाद कांग्रेस के तीन और विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस बीच दुखद संयोग रहा कि ब्यावरा के विधायक गोवर्धन दांगी का मंगलवार को कोरोना संक्रमण से असमय निधन हो गया। इससे मध्य प्रदेश विधानसभा में एक-एक कर कुल 28 सीटें खाली हो गई, जहां अब उपचुनाव होंगे।
दांगी के निधन से कांग्रेस को एक और झटका लगा
मार्च से पहले तक सिर्फ दो क्षेत्रों के उपचुनाव का दायरा 10 मार्च तक बढ़कर 24 विधानसभा सीटों तक आ गया। 24 मार्च को भाजपा की चौथी बार शिवराज सरकार बनने के बाद कांग्रेस के तीन और विधायकों-प्रद्मुम्न सिंह लोधी, सुमित्रा कास्डेकर और नारायण पटेल ने पार्टी का साथ छोड़कर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। दांगी के निधन से कांग्रेस को एक और झटका लगा है।
जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से 27 पर पहले कांग्रेस का कब्जा था
अब जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से 27 पर पहले कांग्रेस का कब्जा था और सरकार में वापसी करने के लिए उसे इन सभी सीटों पर पूरी ताकत लगाना होगी। 230 सदस्यीय राज्य विस में बहुमत के लिए 116 सीटें होना जरूरी हैं। दांगी के निधन के बाद मप्र विधानसभा की सदस्य संख्या 202 रह गई है। कांग्रेस के पास 88 विधायक बचे हैं तो भाजपा के पास 107 विधायक हैं। बसपा-सपा व निर्दलीय विधायकों में से ज्यादातर जिसकी सरकार होगी, उसके साथ रहने के बयान दे चुके हैं।
विधानसभा की मौजूदा दलीय स्थिति
कुल सदस्य संख्या : 230
प्रभावी सदस्य संख्या : 202
भाजपा-107
कांग्रेस- 88
बसपा-02
सपा-01
निर्दलीय- 04 ।