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Winter Session 2021: बदली-बदली सी दिखी तृणमूल कांग्रेस, पीछे रहकर ही किया विरोध

जैसी आंशका थी ठीक वैसा ही नजारा शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद के दोनों ही सदनों में देखने को मिला। विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। बावजूद इसके जो खास बात देखने मिली वह राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस का बदला हुआ रुख था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 09:05 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 09:05 PM (IST)
Winter Session 2021: बदली-बदली सी दिखी तृणमूल कांग्रेस, पीछे रहकर ही किया विरोध
शीतकालीन सत्र के पहले दिन जमकर हंगामा

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जैसी आंशका थी, ठीक वैसा ही नजारा शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद के दोनों ही सदनों में देखने को मिला। विपक्ष ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी से जुड़े विधेयक पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। बावजूद इसके जो खास बात देखने मिली, वह राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस का बदला हुआ रुख था। अमूमन सदन में आक्रामक और विपक्ष के साथ विरोध में अगुआ बनकर खड़ी रहने वाली इस पार्टी के सांसद राज्यसभा में इस बार थोड़ा चुप्पी साधे दिखे। हालांकि विपक्ष को दिखाने के लिए कुछ अपनी सीटों से खड़े भी हुए, लेकिन वेल में आने जैसी गलती नहीं की।

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कांग्रेस की ओर से बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक से भी खुद को रखा दूर

यह और बात है कि लोकसभा में तृणमूल आक्रामक थी। तृणमूल कांग्रेस के इस रुख की सत्ता पक्ष के खेमे में चर्चा तो थी ही, विपक्षी सांसद भी अचंभित थे। खास तौर पर तब जबकि सदन में सामंजस्य के लिए कांग्रेस की ओर से बुलाई गई बैठक से तृणमूल गायब थी। कांग्रेस की ओर से बुलाई गई इस बैठक में 11 विपक्षी पार्टियों ने हिस्सा लिया था। वैसे तृणमूल नेता शुभेंदु शेखर का कहना था कि तृणमूल का किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं है। जाहिर है कि तृणमूल अब कांग्रेस के नेतृत्व में काम करते हुए नहीं दिखेगी। वह अपनी तय रणनीति के तहत ही कभी साथ तो कभी अलग भी दिखेगी।

भारी हंगामे में तृणमूल के दो सांसद भी किए गए

जानकारों की मानें तो राज्यसभा में सोमवार को मानसून सत्र का भी असर था, जिसमें भारी हंगामा करने के चलते जिन 12 सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किया गया है, उनमें तृणमूल के भी दो सांसद हैं। इससे पहले के सत्र में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों का हंगामे के चलते निलंबन हो चुका है। इसके साथ ही पार्टी को गलत व्यवहार के चलते कई बार सभापति की ओर से चेतावनी भी दी जा चुकी है।


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