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भाजपा ने राहुल से पूछा उनका 'चाइनीज कनेक्शन', कहा- क्यों करते हैं चीन की वकालत

डोकलाम विवाद के समय राहुल गांधी ने रात के अंधेरे में परिवार सहित चीन के राजदूत मुलाकात की, लेकिन भारत सरकार को विश्वास में नहीं लिया।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 02:03 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 12:16 AM (IST)
भाजपा ने राहुल से पूछा उनका 'चाइनीज कनेक्शन', कहा-  क्यों करते हैं चीन की वकालत
भाजपा ने राहुल से पूछा उनका 'चाइनीज कनेक्शन', कहा- क्यों करते हैं चीन की वकालत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मानसरोवर के तीर्थ पर गए राहुल गांधी चीनी सरकार की रुचि और आवभगत को लेकर कठघरे में घिर गए हैं। चीनी दूतावास ने केंद्रीय विदेश मंत्रालय से आग्रह किया था कि उन्हें राहुल को औपचारिक रूप से विदा करने की अनुमति दी जाए। भाजपा ने तंज करते हुए राहुल औरकांग्रेस से पूछा कि आखिर चीन के साथ उनके क्या संबंध हैं जो इतनी आवभगत की जा रही है।

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भाजपा प्रवक्ता ने यह भी पूछा कि इसकी जानकारी दें कि चीन में वह किससे किससे मिलेंगे। कांग्रेस और भाजपा में लगातार तीखे बयानों का दौर चल रहा है। डोकलाम को लेकर भी राहुल लगातार सरकार से सवाल पूछते रहे हैं। ऐसे में भाजपा ने राहुल से ही सवाल पूछा कि वह बताएं कि आखिर वह क्यों चीन की तरफदारी करते हैं और चीन क्यों उनकी और उनके पूरे परिवार की आवभगत? संबित पात्रा ने कहा कि पहले भी राहुल चुपके से रात के अंधेरे में जाकर चीनी राजदूत से मिले थे।

इसे छिपाने की भी कोशिश हुई थी लेकिन बाद में कांग्रेस कोस्वीकार करना पड़ा। 2008 में ओलंपिक उदघाटन केदौरान सोनिया गांधी केसाथ साथ उनकेपूरे परिवार को निमंत्रण दिया गया था और वहां स्वागत किया गया। खुद राहुल बात बात चीन का उदाहरण पेश करते हैं। पात्रा ने कहा कि हाल केजर्मनी दौरे केवक्त भी जब राहुल से भारत की भूमिका का बारे में सोच पूछी गई थी तो उन्होंने अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाने की बात कही थी। भारत के बारे मे राहुल की यही सोच है।

उद्योगपतियों के साथ राहुल की एक बैठक का जिक्र करते हुए पात्रा ने आरोप लगाया किवहां भी उन्होंने अमेरिकी निवेश के साथ साथ चीनी निवेश भी लेने की बात कही थी। पात्रा ने कि चीन को लेकर राहुल का यह प्रेम चौंकाता है। यह भ्रम पैदा करता है कि 'वह राहुल गांधी हैं या चाइनीज गांधी। '

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राहुल हर मसले पर चीनी नजरिया जानना चाहते हैं। उन्हें डोकलाम समझना होता है तो विदेश मंत्री के पास जाने की बजाय चीनी राजदूत के साथ गुप्त बैठक करते है। रोजगार को लेकर संसद में प्रधानमंत्री के भाषण कोसुनने की बजाय चीनी आंकड़ा पेश करते हैं। उन्हें स्पष्ट करना होगा कि आखिर चीन के साथ उनके संबंधों का रहस्य क्या है। -


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