कांग्रेस की नैया पार लगाने को प्रियंका की एंट्री, जानें सक्रिय राजनीति में आने की 5 प्रमुख वजहें
Priyanka Gandhi Vadra: कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी को तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल किया है। जानें- प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने के पीछे क्या है योजना?
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। प्रियंका गांधी लंबे समय से सक्रिय राजनीति में आने की बात को नकारती रही हैं। अब उनके अचानक से सक्रिय राजनीति में कदम रखने पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाकर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलने का प्रयास किया है। मतलब कांग्रेस ने प्रियंका को ट्रंप कार्ड तौर पर चला है। ऐसे में आपके लिए भी ये जानना जरूरी है कि आखिर प्रियंका क्यों सक्रिय राजनीति में आने को तैयार हुईं? आइये बताते हैं आपको पांच प्रमुख वजहें...
इंदिरा गांधी की छवि
प्रियंका गांधी की तुलना अक्सर उनकी दादी और देश की पहली और इकलौती महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की जाती है। प्रियंका का चेहरा-मोहरा, बात करने का तरीका, साड़ियां पहनने का सलीका और हेयर स्टाइल तक बहुत कुछ उनकी दादी से मिलता-जुलता है। प्रियंका गांधी कई मौकों पर इंदिरा गांधी की साड़ियों में भी सार्वजनिक मंचों पर आ चुकी हैं। कांग्रेस को लगता है कि प्रियंका में छिपी इंदिरा गांधी की इस इमेज का राजनीति में बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।
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सोनिया की जगह लड़ सकती हैं चुनाव
उत्तर प्रदेश का रायबरेली कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां से अभी सोनिया गांधी चुनाव लड़ती हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट बचाने के लिए रायबरेली से प्रियंका गांधी को खड़ा कर सकती है। इससे सीट तो बचेगी ही, कांग्रेस को ये भी उम्मीद है कि सत्ता के केंद्र यूपी में उसकी स्थिति मजबूत होगी। यही वजह है प्रियंका को विशेष तौर पर पूर्वी यूपी की कमान सौंपी गई है। सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बावजूद प्रियंका हमेशा अमेठी व रायबरेली में चुनावी प्रचार प्रसार में लगी रही हैं।
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कार्यकर्ताओं और लोगों में लोकप्रियता
कांग्रेस कार्यकर्ता और कई नेता भी प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग कई बार कर चुके हैं। दरअसल ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस में मौजूद गांधी परिवार के सदस्यों में से सबसे ज्यादा प्रियंका गांधी ही जनता के बीच लोकप्रिय हैं। लिहाजा, कांग्रेस को प्रतीत हो रहा है कि प्रियंका के जरिए वह यूपी में अपना खो चुका आधार, वापस पाने में सफल हो सकती है।
महागठबंधन से दूरी
लोकसभा चुनाव में कुछ माह पहले तक महागठबंधन की सरगर्मियां काफी तेज थीं। कांग्रेस इसका अहम हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन अब पार्टी को महागठबंधन में अपनी जगह नजर नहीं आ रही है। हाल में यूपी में सपा-बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया। इस दौरान मायावती ने कांग्रेस पर जमकर हमला भी किया। बिहार में भी कांग्रेस गठबंधन से बाहर नजर आ रही। पश्चिम बंगाल में हाल में हुई ममता की रैली में कांग्रेस नेता शामिल तो हुए, लेकिन यहां भी कांग्रेस को महागठबंधन में जगह नहीं दिख रही है। महागठबंधन से बन रही दूरी ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी थी।
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पर्दे के पीछे रही हैं सक्रिय
प्रियंका गांधी भले ही अब तक सक्रिय राजनीति में न रही हों और न ही उन्होंने अब तक चुनाव लड़ा हो, लेकिन वह पर्दे के पीछे राजनीति में हमेशा सक्रिय रही हैं। फिर चाहे मामला कार्यकर्ताओं संग बैठक करने का हो या रणनीति बनाने का या फिर चुनाव प्रचार का। चुनाव लड़े बिना भी कांग्रेस के अंदर और भारतीय राजनीति में उनका रसूख किसी दिग्गज नेता से कम नहीं है।
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