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गलवन घाटी में 20 जवानों के बलिदान पर चीन को सफाई का क्यों मिला मौका, राहुल ने दागा सवाल

पिछले माह के 15 जून को भारत चीन सेना के बीच हुए हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हो गए जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव कम करने को लेकर वार्ता जारी है।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 01:58 PM (IST)
गलवन घाटी में 20 जवानों के बलिदान पर चीन को सफाई का क्यों मिला मौका, राहुल ने दागा सवाल
गलवन घाटी में 20 जवानों के बलिदान पर चीन को सफाई का क्यों मिला मौका, राहुल ने दागा सवाल

नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor, NSA )  अजीत डोभाल (Ajit Doval) और चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi)  के बीच हुई वार्ता को लेकर मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।  ट्वीट में तीन सवाल पूछे हैं जिसमें से एक सवाल गलवन घाटी में उपजे हालिया तनाव को लेकर है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर सवाल दागा कि हमारे क्षेत्र में 20 जवानों  की हत्या को लेकर चीन को सफाई पेश करने की अनुमति क्यों दी गई।  उन्होंने ट्वीट किया, 'राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। भारत सरकार की ड्यूटी इसकी रक्षा करना है।  यथा स्थिति बरकरार रखने को लेकर कोई बात क्यों नहीं हुई ? गलवन घाटी क्षेत्र के सौहाद्र और शांति के मुद्दे पर कोई जिक्र क्यों नहीं किया गया।' 

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भारत-चीन सीमा पर स्थित गलवन घाटी में दोनों देशों की सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए जिसके बाद से सीमा पर तनाव जारी है। पिछले माह में दोनों देशों के बीच तीन बार लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर वार्ता हुई लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। 

रविवार को हुई थी बात 

विदेश मंत्रालय ने बताया  कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को टेलीफोन पर बात की जिसमें वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से सैनिकों के जल्द से जल्द पीछे हटने पर सहमत हुए। डोभाल और वांग दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता से संबंधित विशेष प्रतिनिधि हैं।  भारत और चीन के सैनिकों के बीच पैंगोंग सो, गलवन घाटी और ग्रोगा हॉट स्प्रिंग समेत पूर्वी लद्दाख  के कई इलाकों में आठ सप्ताह से गतिरोध जारी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा से सैनिकों का पूरी तरह पीछे हटना और सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव में कमी सुनिश्चित करना आवश्यक है। 


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