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जानिए, जम्मू कश्मीर में BJP-PDP गठबंधन टूटने के बाद क्या है ताजा समीकरण

भाजपा महासचिव और जम्‍मू-कश्‍मीर के प्रभारी राम माधव ने यह घोषणा की। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्‍होंने गठबंधन टूटने के प्रमुख कारणों को बताया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 03:06 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 07:25 PM (IST)
जानिए,  जम्मू कश्मीर में BJP-PDP गठबंधन टूटने के बाद क्या है ताजा समीकरण
जानिए, जम्मू कश्मीर में BJP-PDP गठबंधन टूटने के बाद क्या है ताजा समीकरण

नई दिल्ली (जेएनएन)। जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीडीपी के बीच गठबंधन टूट गया है। भाजपा महासचिव और जम्‍मू-कश्‍मीर के प्रभारी राम माधव ने यह घोषणा की। गठबंधन टूटने के साथ ही भाजपा ने राज्य में गवर्नर शासन लगाने का अनुरोध किया है। वहीं महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है।
जम्मू कश्मीर विधानसभा में सीटों की स्थिति
विधानसभा चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो राज्य की कुल 87 सीटों में से पीडीपी को 28, भाजपा को 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं। इसके अलावा अन्य दलों को 7 सीटें मिली थीं।

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जानिए- अब क्या हो सकता है
चुनाव में अभी करीब 3 साल का समय बाकी हैं। ऐसे में अगर गठबंधन सरकार बनाने की फिर से कोशिश की जाती है तो पीडीपी को कांग्रेस के अलावा अन्य की भी जरूरत होगी, जिससे बहुमत (44) के आंकड़े को हासिल किया जा सके। ऐसे में समीकरण 28+12+7=47 होगा। वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी अाजाद ने किसी भी प्रकार के गठबंधन से इनकार किया।

इसके अलावा अगर पीडीपी और कांग्रेस के बीच तालमेल नहीं बनता है तो महबूबा मुफ्ती के पास दूसरा विकल्प राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस से हाथ मिलाने का बचता है। ऐसे में 44 के आंकड़े के लिए समीकरण 28+15+7 होगा।

लेकिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने राज्यपाल से मिलकर किसी भी प्रकार के गठबंधन से साफ इंकार किया है। ऐसी स्थिति में अब जम्मू-कश्मीर में केवल राष्ट्रपति शासन का ही विकल्प दिखाई दे रहा है।

भाजपा नेता राम राधव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन टूटने के प्रमुख कारणों के बारे में विस्तार से बताया।

राम माधव द्वारा कही गईं प्रमुख बातें...

-भाजपा जम्मू-कश्मीर, लद्दाख में शांतिपूर्ण तरीके से सरकार चलाने की कोशिश करती रही है।

-पीडीपी से अलग होने का फैसला देशहित और राष्ट्रहित को लेकर किया गया है।

-जम्मू कश्मीर में मीडिया की आजादी अब खतरे में आ गई है।

-घाटी में जिस तरह से पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की गई, वह निंदनीय है।

-पिछले तीन सालों में घाटी के हालातों को शांतिपूर्ण करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्‍य का सभी तरह से साथ दिया है।

-घाटी के विकास और अन्य कामों के लिए कुछ दिन पहले ही 18 हजार करोड़ की वित्‍तीय सहायता दी गई।

-तीन दिन पहले ही पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में दो प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करके आए हैं, जो प्रदेश के विकास के लिहाज से काफी अहम हैं।

-राज्य के हालातों को ठीक करने के लिए सीएम महबूबा मुफ्ती ने जो भी मदद मांगी है, केंद्र सरकार ने उन्हें वह दिया है। केंद्र से तमाम मदद मिलने के बावजूद राज्य सरकार घाटी में शांति कायम करने में असफल रही है।

-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास कार्यों में राज्य की पीडीपी सरकार की ज्यादा दखलअंदाजी करने के कारण केंद्र सरकार काम नहीं कर पा रही है।

-कश्मीर में केंद्र सरकार जो काम करना चाहती है वो नहीं कर पा रही है. चूंकि प्रदेश में पूरी तरह से बीजेपी की सरकार नहीं है, इसलिए विकास कार्यों के प्रोजेक्ट्स पर भी बीजेपी नेताओं को परेशानी हो रही है।

-प्रदेश में गवर्नर प्रशासन लागू किया जाए और हालातों को काबू में करने की कोशिश की जाए।


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