What is Floor Test: फ्लोर टेस्ट क्या है और इसकी जरूरत कब पड़ती है? जानिए सब कुछ
फ्लोर टेस्ट क्या होता है... महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच यह सवाल मन में आना लाजिमी है. फ्लोर टेस्ट एक ऐसा प्रस्ताव है जिसके जरिए यह जाना जाता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत है या नहीं। यानी सरकार को विधायिका का समर्थन प्राप्त है कि नहीं।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट अभी भी जारी है। महा विकास आघाड़ी सरकार के लिए गुरुवार का दिन काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्यपाल ने सदन में बहुमत हासिल करने के लिए बुलाया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 30 जून को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। सत्र के दौरान सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे के बीच फ्लोर टेस्ट होगा। आखिर यह फ्लोर टेस्ट क्या है और इसकी जरूरत कब पड़ती है, आइए जानते हैं...
फ्लोर टेस्ट क्या है?
फ्लोर टेस्ट यह जानने के लिए लिया जाता है कि क्या सरकार को अभी भी विधायिका का विश्वास प्राप्त है। सरल भाषा में कहें तो फ्लोर टेस्ट एक संवैधानिक प्रणाली है, जिसके तहत राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा जाता है। यह संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों में होता है।
फ्लोर टेस्ट में फेल होने पर क्या होगा?
जब किसी एक दल को विधानसभा में बहुमत प्राप्त होता है तो राज्यपाल उस दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है। यदि बहुमत पर सवाल उठाया जाता है, तो बहुमत का दावा करने वाले पार्टी के नेता को विधानसभा में विश्वास मत देना होगा और उपस्थित और मतदान करने वालों के बीच बहुमत साबित करना होगा। विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है।
विधानसभा अध्यक्ष कराते हैं फ्लोर टेस्ट
अगर मामला किसी राज्य का है तो फ्लोर टेस्ट उस राज्य विधानसभा के अध्यक्ष कराते हैं। राज्यपाल सिर्फ आदेश देते हैं। फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता है। फ्लोर टेस्ट एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमें विधायक विधानसभा में पेश होकर अपना वोट देते हैं।
फ्लोर टेस्ट से पहले व्हिप जारी करती हैं पार्टियां
जब भी फ्लोर टेस्ट होना होता है, सभी पार्टियां अपने विधायकों को व्हिप जारी करती हैं। इस व्हिप के जरिए पार्टियां अपने विधायकों को हर हाल में विधानसभा में मौजूद रहने के लिए कहती है। अगर कोई विधायक व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।
महाराष्ट्र सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 30 जून को बहुमत साबित करने के राज्यपाल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उद्धव ठाकरे का कहना है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का आदेश अवैध है। क्योंकि 16 बागी विधायकों ने अभी तक अपनी संभावित अयोग्यता पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। राज्यपाल ने भाजपा नेताओं से मुलाकात के एक दिन बाद शक्ति परीक्षण का आदेश दिया और उन्हें बताया कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला गठबंधन अपना बहुमत खो चुका है।
एकनाथ शिंदे ने कामाख्या देवी के किए दर्शन
बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने बुधवार सुबह गुवाहाटी के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर का दौरा किया, जहां वह शिवसेना के अन्य बागी विधायकों के साथ एक होटल में डेरा डाले हुए हैं। शिंदे ने कहा कि वह फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं और कल मुंबई लौटेंगे। शिंदे ने गुवाहाटी में मंदिर जाने के बाद कहा, 'मैं कल मुंबई लौटूंगा। मैंने यहां मंदिर में महाराष्ट्र के लोगों के कल्याण के लिए प्रार्थना की।'
गोवा में बागी विधायकों के लिए 70 कमरे बुक
बता दें, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र के बागी विधायक आज गोवा जाएंगे। इसके बाद वे कल यानी गुरुवार को मुंबई के लिए उड़ान भरेंगे और सीधे महाराष्ट्र विधानसभा जाएंगे। गोवा के ताज रिजार्ट एंड कन्वेंशन सेंटर में 70 कमरे बुक किए गए हैं।
देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से की मुलाकात
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को आठ निर्दलीय विधायकों के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल को एक पत्र सौंपा था जिसमें फ्लोट टेस्ट कराने की मांग की गई थी।