ईश्वर चंद्र विद्यासागर पर गर्म हुई बंगाल की सियासत, ममता ने बदली अपनी डीपी
ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा तोड़े जाने से नाराज ममता बनर्जी समेत टीएमसी के सभी नेताओं ने अपनी सोशल अकाउंट की फोटो बदल दी है।
कोलकाता, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 का आखिरी चरण आते आते बंगाल में हिंसा अब अपने चरम रूप तक पहुंच गई है। मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो में जमकर हिंसा हुई। यहां तक की कुछ उपद्रवियों ने ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। बंगाल में ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा को तोड़े जाने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी पर इसका आरोप लगाया है। ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोड़े जाने के विरोध में ममता बनर्जी ने विरोध रैली निकालने का एलान भी किया है।
इस बवाल के बीच एक बार फिर सोशल साइट पर डीपी बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी डीपी बदली है। ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा को तोड़े जाने को राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए ममता बनर्जी ने अपने सोशल साइट्स की डीपी को बदलकर ईश्वर चंद्र विद्यासगर की फोटो लगा ली है। यही नहीं ममता बनर्जी के अलावा टीएमसी के तमाम बड़े नेताओं ने भी अपने सोशल अकाउंट पर ईश्वर चंद्र विद्यासगर की फोटो लगा ली है।
वहीं, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ममता बनर्जी पर निशाना साधा। अमित शाह आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने ही ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर CRPF न होती तो मेरा वहां से बच निकलना बहुत मुश्किल था, सौभाग्य से ही मैं बचकर आया हूं।
कोलकाता में मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान पथराव, आगजनी, लाठीचार्ज की घटनाएं हुईं। शाह जिस वाहन पर सवार थे, उस पर डंडे फेंके गए और भाजपा समर्थकों पर पथराव किया गया। भाजपा ने इस हिंसा के पीछे तृणमूल का हाथ बताया है। हिंसा में भारतीय जनता पार्टी के कई कार्यकर्ता जख्मी हुए हैं। इस दौरान टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने रोड शो में मौजूद गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।
बता दें कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर बंगाल के पुनर्जागरण के प्रमुख लोगों में से एक थे। वह एक समाज सुधारक, लेखक और शिक्षक थे। उन्होंने राजा राम मोहन रॉय के साथ मिलकर समाज में महिलाओँ की जिंदगी को बेहतर करने के लिए कई प्रयास किए। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने ही ब्रिटिश सरकार से विधवा पुनर्विवाह कानून को पारित करने का जोर दिया। उनके प्रयास से ही 1856 में विधवा पुनर्विवाह कानून पारित हुआ।
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