फारूक अब्दुल्ला की केंद्र को चेतावनी, लोकसभा-विधानसभा चुनावों का करेंगे बहिष्कार
नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख ने चेताते हुए कहा कि यदि केंद्र ने धारा 370 व अनुच्छेद 35ए पर रुख साफ नहीं किया तो लोकसभा-विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।
श्रीनगर (एएनआइ)। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को केंद्र को चुनौती दी और चेताया कि वे लोकसभा व विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे। एक इवेंट में बोलते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यदि केंद्र धारा 370 व अनुच्छेद 35ए पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तो हम केवल पंचायत चुनावों का नहीं, बल्कि लोकसभा व विधानसभा चुनावों का भी बहिष्कार करेंगे।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अक्टूबर-नवंबर में पंचायत और नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं। लेकिन, राज्य में राजनीतिक हंगामे के बीच नेशनल कांफ्रेंस चुनावों के बहिष्कार का एलान किया है। अब्दुल्ला ने कहा कि जिस तरह मीडिया सिद्धू को निशाना बना रही है उससे पता चलता है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार नहीं चाहते हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों तरफ कुछ निहित स्वार्थ वाले हैं जो नहीं चाहते कि दोनों देशों के बीच शांति हो। लेकिन जम्मू कश्मीर की जनता के लिए दोनों देशों के बीच दोस्ती जरूरी है।
किसी मुस्लिम ने कभी हिंदू या ईसाई को धर्म परिवर्तन के लिए नहीं कहा, लेकिन जब वे हमारे नमाज अदा करने के तरीकों के बारे बताते हैं या अजान बंद करने का निर्देश देते हैं वे गांधी के भारत को बदलना चाहते हैं। यदि वे देश को बचाना चाहते हैं तब उन्हें सभी धर्म का बराबरी से सम्मान करना चाहिए।
जानें अनुच्छेद 35 ए
साल 1954 में 14 मई को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा पारित किए गए आदेश के बाद संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ा गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है। वर्ष 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया। इसके तहत राज्य का स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो।
अनुच्छेद 35-ए की वजह से जम्मू कश्मीर में पिछले कई दशकों से रहने वाले बहुत से लोगों कई अधिकारों से वंचित हैं। साथ ही 1947 में पाकिस्तान छोड़ आने वाले जम्मू में बसे हिंदू परिवार भी आज तक यहां के शरणार्थी हैं।