Move to Jagran APP

संघ कभी नहीं कहता- 'हम दक्षिणपंथी हैं'- RSS सरकार्यवाह होसाबले का अहम बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि संघ अपने प्रशिक्षण शिविरों में कभी ये नहीं कहता कि यह दक्षिणपंथी है बल्कि हमारे कई विचार वामपंथियों की तरह होते हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 05:56 AM (IST)
संघ कभी नहीं कहता- 'हम दक्षिणपंथी हैं'- RSS सरकार्यवाह होसाबले का अहम बयान
संघ कभी नहीं कहता- 'हम दक्षिणपंथी हैं'- RSS सरकार्यवाह होसाबले ने दिया अहम बयान

नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS )  नेता राम माधव द्वारा लिखित पुस्तक 'The Hindutva Paradigm' के विमोचन के मौके पर शुक्रवार को RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले ने अहम बयान दिया। उन्होंने कहा, 'मैं RSS से हूं, संघ प्रशिक्षण शिविरों में हम कभी ये नहीं कहते कि  हम दक्षिणपंथी हैं। हमारे कई आइडिया वामपंथियों की तरह होते हैं।' उन्होंने कहा कि पूरब पूरी तरह से पूरब नहीं है, पश्चिम पूरी तरह से पश्चिम नहीं है। इसी प्रकार से वामपंथ पूरी तरह से वामपंथ नहीं है और दक्षिणपंथ पूरी तरह से दक्षिणपंथ नहीं है।

loksabha election banner

सरकार्यवाह ने कहा कि पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों का अवसान हो गया है। लेकिन, पूंजीवाद के कुछ विचार और साम्यवाद के कुछ विचार अभी भी मौजूद हैं और रहेंगे। होसाबले ने कहा कि ये मानव मस्तिष्क से उत्पन्न विचार हैं जो लोगों के अनुभवों पर आधारित हैं। इसलिए हमें सभी क्षेत्रों और वर्गों के श्रेष्ठ विचारों का लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने वामपंथ और दक्षिणपंथ तथा पूरब और पश्चिम की एक लड़ाई शुरू कर दी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की भू राजनीतिक परिस्थतियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई। होसबाले ने कहा कि लेकिन समय के साथ पूरब और पश्चिम के बीच संघर्ष की बात धूमिल हो गई है। आज दुनिया मानवतावाद पर आधारित सभी विचारों को अपना रही है। यही हिंदुत्‍व का सार तत्व है।

होसाबले ने आगे कहा, 'यह सैद्धांतिक रूप से पूरब और सैद्धांतिक रूप से पश्चिम हैं। अब तो पश्चिम के लोग भी एक नए विचार और नए दर्शन की तलाश में हैं जो मानवतावाद पर आधारित हैं।' उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद का भी जिक्र किया और कहा कि भाजपा ने भी एकात्म मानववाद के दर्शन को स्वीकार किया और उससे पहले जनसंघ ने भी इसे माना था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.