लंदन: पाक समर्थकों की हिंसा से भारत-ब्रिटेन रिश्तों पर हो सकता है असर
लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले में पाकिस्तान समर्थकों की भूमिका पर भारत नाराज। उच्च कूटनीतिक स्तर पर ब्रिटेन के सामने उठाया गया मुद्दा
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। ब्रेक्सिट की उलझन में फंसी ब्रिटिश सरकार के साथ भारत का रिश्ता वैसे ही तकरीबन डेढ़ वर्षो से शिथिल है। अब जिस तरह से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान समर्थकों का हुजूम ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग पर दो बार हमला कर चुका है उसका दोनो देशों के द्विपक्षीय रिश्तों पर और विपरीत असर पड़ने की आशंका पैदा हो गई है।
भारत ने ब्रिटिश सरकार को साफ तौर पर बता दिया है कि पिछले एक पखवाड़े में दो बार जिस तरह से हिंसात्मक हमला किया गया है वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। हालांकि भारत को इस बात की आशंका है कि लंदन की राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए उसकी आपत्तियों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। वहां की राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए हो सकता है कि भारत विरोधी भावनाओं को और भड़काया जाए।
भारत विरोधी हिंसा रोकने में कोई रुचि नहीं
असलियत में कश्मीर से धारा 370 हटाने के भारत सरकार के फैसले को लेकर ब्रिटेन की सरकार और वहां के कुछ राजनीतिक दलों ने जिस तरह से प्रतिक्रिया जताई है उसे भारतीय विदेश मंत्रालय बिल्कुल भी खुश नहीं है। भारत को इस बात से आपत्ति है कि भारत विरोधी हिंसा को भड़काने में पाकिस्तान की साफ भूमिका होने के बावजूद ब्रिटेन सरकार ने उसे रोकने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। हजारों की उन्मादी भीड़ को जुटाने में हिज्ब-उत-तहरीर जैसे कट्टरपंथी जमात का नाम भी सामने आया है।
कश्मीर पर ब्रिटेन की भूमिका काफी नकारात्मक
यही नहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन ने जब कश्मीर मुद्दे को उठाया तब भी ब्रिटेन की भूमिका काफी नकारात्मक रही थी। यही नहीं कश्मीर को लेकर लंदन में निकाली गई रैली में बड़े पैमाने पर खालिस्तान समर्थक भी शामिल हो रहे हैं। यही वजह है कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब के साथ बातचीत में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की चिंताओं को बेहद मजबूती से रखा था। दो दिन पहले भी लंदन स्थिति भारतीय उच्चायुक्त रुचि घनश्याम ने वहां विदेश मंत्रालय के आला अधिकारियों से मुलाकात की और उच्चायोग को भीड़ की तरफ से पहुंचाये गये नुकसान का ब्यौरा दिया।
भारत विरोधी हिंसा को नकारने की कोशिश
भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ब्रिटिश सरकार जिस तरह से भारत विरोधी हिंसा की हकीकत को नकारने की कोशिश कर रही है वह काफी चिंता पैदा करने वाला है। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय और वहां की स्थानीय पुलिस अभी भी यह स्वीकार नहीं कर रही है कि हिंसा हुई है। जबकि भारत की तरफ से तमाम सबूत भी दिए गए हैं। उक्त सूत्रों के मुताबिक दोनो देशों के प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बातचीत में भारत यह मुद्दा उठा चुका है लेकिन हाल की घटना से साफ है कि वहां की सरकार बहुत गंभीरता से शिकायतों को नहीं ले रही है।
बताते चलें कि भारत व ब्रिटेन के रिश्ते वैसे ही हाल के वर्षो में कुछ खास नहीं चल रहे हैं। जब से ब्रिटेन में यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का फैसला किया गया है तब से भारत के साथ उसके रिश्तों की दिशा भी बिगड़ी हुई है। अप्रैल, 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा से रिश्तों में गर्माहट लौटने के संकेत मिले थे, लेकिन हाल के भारत विरोधी रैलियों व वहां की सरकार के रवैये से ऐसा लगता है कि जमीनी हकीकत कड़वी है।