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गुजरात नतीजों ने 'विकास गांडो थयो छे को नकारा, हु विकास छे हु गुजरात छे' पर लगाई मुहर

'विकास गांडो थयो छे…' गुजरात की चुनावी महफ़िल इस बार कांग्रेस के इसी गाने से सजी। कांग्रेस ने भाजपा के विकास के नारे पर ही सबसे पहले हमला बोला।

By Manoj YadavEdited By: Published: Mon, 18 Dec 2017 02:32 PM (IST)Updated: Mon, 18 Dec 2017 02:53 PM (IST)
गुजरात नतीजों ने 'विकास गांडो थयो छे को नकारा, हु विकास छे हु गुजरात छे' पर लगाई मुहर
गुजरात नतीजों ने 'विकास गांडो थयो छे को नकारा, हु विकास छे हु गुजरात छे' पर लगाई मुहर

नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]। गुजरात चुनाव के ताजा रुझानों से साफ है कि 22 साल बाद एक बार फिर गांधी और पटेल की धरती पर कमल खिल रहा है। गुजरात में चुनाव प्रचार के कई रंग दिखे। कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे राहुल गांधी को ये यकीन था कि इस दफा उनके पास वो तमाम मुद्दे हैं जिनके जरिए भाजपा का सफाया करना आसान होगा। पीएम मोदी के गुजरात मॉडल पर आधारित विकास की सोशल मीडिया पर जब आलोचना हुई तो कांग्रेस को लगने लगा कि अब उनके पास वो हथियार जो आम जन के दिल तक जगह बनाई जा सकती है। लेकिन गुजरात चुनाव के नतीजे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। गुजरात की जनता ने विकास गांडो थयो छे की जगह हु विकास छे, हु गुजरात छे पर भरोसा जताया।

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'विकास गांडो थयो छे…' गुजरात की चुनावी महफ़िल इस बार कांग्रेस के इसी गाने से सजी। कांग्रेस ने भाजपा के विकास के नारे पर ही सबसे पहले हमला बोला। प्रधानमंत्री मोदी के विकास के नारे पर कांग्रेस के चौतरफा हमले का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी खुद मैदान में आए। और पीएम मोदी ने नारा दिया ‘हू विकास छे, हु गुजरात छे’। पीएम नरेंद्र मोदी के इस स्लोगन के बाद कांग्रेस ने मारा हाला छेतरी गया यानि कि मेरे साथ धोखा हुआ है।

दैनिक जागरण से खास बातचीत में वरिष्ठ सहयोगी आशुतोष झा ने बताया कि अब ये साफ हो चुका है कि गुजरात की जनता ने विकास पर मुहर लगा दी है। विकास गांडो थयो छे के जरिए कांग्रेस ने भाजपा को घेरने की कोशिश की लेकिन गुजरात के जनमानस ने ये माना कि कहीं न कहीं कांग्रेस नकारात्मक राजनीति कर रही थी। भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को ये बता कर कुंद कर दिया कि जो लोग घोटालों के मामले में सिर से लेकर नख तक डूबे हुए हैं वो इस तरह की बात कर गुजरात को विकास की पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं।

लेकिन अब गुजरात चुनाव के रुझानों और नतीजों से साफ है कि वहां कि जनता ने गब्बर सिंह टैक्स से डरी नहीं बल्कि गुड्स और सिंपल टैक्स में भरोसा जताकर ये बता दिया कि विकास पागल नहीं हुआ है।

गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीट हैं। जिसमें 75 सीटों पर OBC फ़ैक्टर का असर माना जाता है । जबकि 56 सीटों पर अगड़ी जाति फैक्टर की बड़ी भूमिका होती है। आदिवासी फैक्टर 29 सीटों पर अहम है जबकि दलित फैक्टर से 7 सीट और मुस्लिम फैक्टर से 12 सीटें प्रभावित होती हैं। गुजरात विधानसभा की 39 सीटों पर पाटीदार फैक्टर का प्रभाव है। जबकि OBC फैक्टर 75 सीटों पर अहम भूमिका निभाता है। भाजपा ने जातिगत समीकरणों को देखते हुए पाटीदारों से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए पिछड़ी जातियों को एकजुट करने की कोशिश की


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