26/11 आतंकी हमले के पीड़ितों ने कहा, पेट्रोल पंप वितरण में हुआ भेदभाव
सुनंदा के मुताबिक हादसे के दस साल बाद वह महसूस करती हैं कि सरकार ने मुआवजा तय करने में भेदभाव किया।
मुंबई, प्रेट्र। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के पीड़ितों ने मुआवजा वितरण में भेदभाव का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उन्हें बतौर मुआवजा पेट्रोल पंप नहीं मिला।
सुनंदा के पति भगन शिंदे गोकुलदास तेजपाल हॉस्पिटल में वार्ड ब्वाय थे। वह ड्यूटी के बाद घर लौटने ही वाले थे कि अस्पताल के गेट पर आतंकियों ने उन्हें निशाना बना लिया था। सुनंदा के मुताबिक हादसे के दस साल बाद वह महसूस करती हैं कि सरकार ने मुआवजा तय करने में भेदभाव किया। शहीद पुलिसवालों के परिजनों को मुआवजा राशि से अलग पेट्रोल पंप दिए गए, लेकिन, सरकारी अस्पतालों के कर्मचारियों को पेट्रोल पंप नहीं दिया गया।
प्रवीण के पिता भानु नारकर कामा एंड एल्बलेस हॉस्पिटल में सिक्योरिटी गार्ड थे। भानु के मारे जाने की जानकारी अस्पताल की तरफ से परिजनों को 27 नवंबर को दी गई। अब प्रवीण भानु की जगह गार्ड की नौकरी करते हैं। जीटी हॉस्पिटल के वार्ड ब्वाय ठाकुर वागले की पत्नी करुणा वागले अब वहां स्वीपर हैं। अपना पैर गंवाने वाले 50 वर्षीय साबिर खान कहते हैं कि आर्थिक मदद के लिए प्रधानमंत्री समेत अधिकारियों को 200 पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अब तक सहयोग नहीं मिला।
संदीप के स्वभाव में थी जीत: पिता
मुंबई हमले में शहीद नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कमांडो संदीप उन्नी कृष्णनन की यादें उनके घर के चारों तरफ फैली हैं। घर की गैलरी उनकी स्मृतियों और व्यक्तिगत संग्रहों से सजी है। उनके पिता उन्नीकृष्णन कहते हैं, जीत संदीप के स्वभाव में था। उन्हें हार पसंद नहीं थी। वह सचिन तेंदुलकर को पसंद करते थे। संदीप अपने वेतन का बड़ा हिस्सा दान कर देते थे। इसकी जानकारी हमें उनके जाने के बाद मिली।