उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले, प्रगति के लिए शांति जरूरी, इसके बगैर कोई विकास नहीं
उपराष्ट्रपति नायडू शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के जन्मदिन पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गुजराल एक विद्वान व्यक्ति मधुर भाषी और सज्जन राजनेता थे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आतंकवाद को बड़ी समस्या बताते हुए कहा है कि जब तक इसे समाप्त नहीं किया जाता, तब तक यह संकट लोगों के समृद्ध जीवन के लिए किए जाने वाले सभी प्रयासों को निष्फल करता रहेगा। उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) समूह के देशों से इसके लिए एकजुट होकर और ईमानदारी से प्रयास करने की जरूरत बताई। साथ ही कहा कि प्रगति के लिए शांति जरूरी है क्योंकि इसके बगैर कोई विकास नहीं हो सकता।
उपराष्ट्रपति नायडू शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के जन्मदिन पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गुजराल एक विद्वान व्यक्ति, मधुर भाषी और सज्जन राजनेता थे। जिन्होंने अपने समक्ष आने वाली चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद कभी भी अपने मूल्यों के साथ समझौता नहीं किया। वह एक सर्वप्रिय व्यवहार के स्वामी थे और अपनी कमी बताने वालों के प्रति भी विनम्र रहते थे। अपने इसी व्यवहार से उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में अनेक मित्र बनाए।
संयुक्त राष्ट्र से और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की मांग की
नायडू ने कहा कि भारत हमेशा से अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखने में विश्वास करता है, लेकिन दुर्भाग्य से हम पिछले कई साल से सीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहे हैं। उन्होंने इससे निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र से और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की मांग की। साथ सीमा पार से आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देशों को अलग-थलग करने और उनके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने के अपने प्रयासों में तेजी लाने की अपील की। उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर महिलाओं की भूमिका बढ़ाने सहित लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करने पर जोर दिया और कहा कि इस तरह के भेदभाव का अब कोई औचित्य नहीं है। इस मौके पर सांसद नरेश गुजराल, पूर्व सांसद तरलोचन सिंह आदि मौजूद थे।