इस किताब का दावा, भारत के लिए 'दोधारी तलवार' साबित हो सकते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप
वरिष्ठ पत्रकार एलन फ्राइडमैन ने अपनी नई किताब दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत के लिए जितना खतरानक लगते हैं वे उससे भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं।
पीटीआइ, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के लिए जितना खतरानक लगते हैं वे नई दिल्ली के लिए उससे भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। वे जिस तरह से ट्रेड वॉर की राह पर अग्रसर हैं और जिस तरह से अमेरिका को बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय करारों से अलग कर रहे हैं, वह भारतीय हितों में एकदम नहीं है। यह दावा वरिष्ठ पत्रकार एलन फ्राइडमैन ने अपनी नई किताब में किया है।
फ्राइडमैन ने अपनी पुस्तक 'खतरे में लोकतंत्र: डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका' ('Democracy In Peril: Donald Trump's America') में यह भी कहा है कि ट्रंप भारत के लिए, 'दोधारी तलवार' साबित हो सकते हैं। वे लिखते हैं 'एक तरफ, वह मेरे दुश्मन के दुश्मन बने हुए हैं, लेकिन दूसरी ओर, वह ऐसे शख्स भी हैं जो खतरनाक और आवेग में आकर फैसला लेता है और इसके बारे में कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता।'
पत्रकार ने किताब में लिखा, 'ट्रेड वॉर और दशकों तक वैश्विक व्यवस्था को कायम रखने वाले बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संधियों से ट्रंप का पीछे हटना भारत के लिए हितकारी नहीं होगा। भारत के लिए वह उससे भी बड़ा घातक हैं जितना वे लगते हैं।' उन्होंने इस किताब में अमेरिका में खतरनाक असमानता का भी जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि अमेरिका में एक तरफ वॉल स्ट्रीट अत्यधिक समृद्धि को दिखाता है तो दूसरी तरफ देश में गरीबी भी बढ़ रही है। साथ ही उन्होंने अपनी किताब में नस्लवाद से लेकर हथियार नियंत्रण और ओबामाकेयर जैसे उन मुद्दों पर भी गहराई से लिखा है। उन्होंने इसे अमेरिका में ध्रुवीकरण के जिम्मेदार बताया है।
लेखक का कहना है कि ट्रंप के कार्यकाल का सबसे असाधारण पहलू यह है कि यह एकदम टीवी रियलटी शो के फॉर्मेट जैसा लगता है। उनके अनुसार, ट्रंप ने ट्वीट को 21 वीं सदी की अमेरिकी राजनीति से जनता का ध्यान भटकाने वाला 'हथियार' बना दिया है, क्योंकि उन्होंने अपने ही प्रशासन के दर्जनों पदाधिकारियों को बगैर सोचे समझे निकाल दिया और अक्सर आक्रामक अंदाज में ट्वीट कर इसका ऐलान किया।
फ्राइडमैन का कहना है कि ट्रंप का अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए 'लेन-देन' वाला रुख और 'अमेरिका फर्स्ट' के अजेंडे से एक नई वैश्विक व्यवस्था का तेजी से जन्म हो रहा है। इसके साथ ही वॉशिंगटन को मॉस्को और पेइचिंग के साथा शक्तियां साझा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ट्रंप का चीन के साथ व्यापार युद्ध और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों से अमेरिका को अलग करने जैसे फैसले उनके चुनावी वादों के ही तर्ज पर हैं। ओम बुक इंटरनैशनल द्वारा प्रकाशित इस किताब में लिखा गया है 'ट्रंप ने कई तरीकों से दुनिया को उलट दिया है।
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