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संसदीय समितियों की सभी बैठकों से अनुपस्थित रहे 95 सदस्य, राज्यसभा सभापति ने जताई चिंता

राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने संसद की स्थायी समितियों की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति पर चिंता जताई है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 07:41 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 07:41 AM (IST)
संसदीय समितियों की सभी बैठकों से अनुपस्थित रहे 95 सदस्य, राज्यसभा सभापति ने जताई चिंता
संसदीय समितियों की सभी बैठकों से अनुपस्थित रहे 95 सदस्य, राज्यसभा सभापति ने जताई चिंता

नई दिल्ली, प्रेट्र। राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने संसद की स्थायी समितियों की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति पर चिंता जताई है। नायडू के अनुसार 95 सांसदों ने तो संसद की स्थायी समितियों की एक भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया। ये समितियां मंत्रालयों के अनुदान मांगों पर विचार करती हैं।

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बजट के बाद तीन हफ्तों के अवकाश के दौरान विभिन्न विभागों से संबंद्ध संसद की 24 स्थायी समितियों ने मंत्रालयों के अनुदान मांगों पर विचार किया। इन समितियों में लोकसभा और राज्यसभा के 244 सदस्य शामिल हैं। अवकाश के बाद शुरू हुए बजट सत्र के पहले दिन नायडू ने राज्यसभा में बताया, 'कुल 244 में से 95 सदस्यों यानी 39 फीसद ने अनुदान मांगों की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया। पिछली बार केवल 28 सदस्यों की अनुपस्थिति शून्य रही थी।' इन समितियों में शामिल राज्यसभा के 78 सदस्यों में से 23 यानी 29 फीसद सभी बैठकों में अनुपस्थित रहे। पिछली बार ऐसे सदस्यों की संख्या 11 थी। लोकसभा के 166 सदस्यों में से 78 यानी 47 फीसद सभी बैठकों में नदारद रहे। पिछली समीक्षा में इनकी संख्या 72 थी।'

इन समितियों की बैठकें संसद की करीब 30 बैठकों की भरपाई करती हैं। पहले संसद 100 दिनों तक चलती थी, जिसकी संख्या अब घटकर 60-70 दिन हो गई है। बजट सत्र के दौरान तीन सप्ताह की छुट्टियां इसलिए की गई थीं, ताकि एक फरवरी को बजट के दौरान प्रस्तुत मंत्रालयों के अनुदान मांगों पर 24 स्थायी समितियां विचार कर सकें।

नायडू ने कहा, 'समितियों की लगातार दो बैठकों में गायब रहने वाले सदस्यों की संख्या इस बार 106 हो गई, जो पिछली बार 100 थी। इनमें राज्यसभा के 28 व लोकसभा के 78 सदस्य शामिल हैं।' उन्होंने कहा कि विभागों से संबंद्ध इन समितियों में से आठ राज्यसभा से संबंधित थीं, जिनकी 20 बैठकों के दौरान 45.35 फीसद उपस्थिति रही। यह संतोषजनक नहीं है। हालांकि, चार समितियों में सदस्यों की उपस्थिति 50 फीसद से अधिक रही। राज्यसभा के सदस्यों की उपस्थित 52.57 फीसद रही जो लोकसभा सदस्यों की 46.37 फीसद उपस्थिति से ज्यादा थी।

स्वास्थ्य व परिवार कल्याण की बैठकों में उपस्थिति सबसे ज्यादा

नायडू ने बताया स्वास्थ्य व परिवार कल्याण समिति की बैठकों में सबसे ज्यादा 65.51 फीसद उपस्थिति रही। इसके 29 में से 19 सदस्य तीनों बैठकों में उपस्थित रहे। वाणिज्य विभाग से संबद्ध समिति में सदस्यों की उपस्थिति सबसे कम 32.25 फीसद रही।

भाजपा-कांग्रेस सदस्यों की हाजिरी दूसरे दलों से ज्यादा

समितियों में भाजपा व कांग्रेस के कुल 142 सदस्य शामिल थे, जिनकी उपस्थिति 50 फीसद रही। जबकि, इसमें शामिल दूसरे दलों के 102 सदस्यों की उपस्थिति 40 फीसद थी।

राज्यसभा की आठ समितियों ने 63 घंटे कीं बैठकें

वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए गठित अनुदान मांगों की समितियों में से राज्यसभा की आठ समितियों ने 20 बैठकें कीं। 63 घंटे तक चली इन बैठकों में 18 मंत्रालयों की मांगों पर विचार किया गया। यह सदन की 10 बैठकों के बराबर थी। इसी प्रकार लोकसभा की 16 समितियों ने संसद की दूसरी 20 बैठकें कीं।

लोस के 59 व रास के 28 सदस्य सभी बैठकों में रहे मौजूद

87 सदस्य समितियों की सभी बैठकों में मौजूद रहे। पिछले साल यह संख्या 36 थी। राज्यसभा के 18 के मुकाबले इस बार 28 सदस्य सभी बैठकों में उपस्थित रहे, जबकि लोकसभा के 18 के मुकाबले इस बार संख्या 59 रही। बजट सत्र के पहले भाग की उत्पादकता 96 फीसद रही।


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