अर्जुन सिंह की राजनीतिक उत्तराधिकारी बनना चाहती थीं वीणा सिंह
1990-91 में जब अर्जुन सिंह की बायपास सर्जरी हुई थी, उसके बाद से वीणा पूरे समय उनके साथ रहती थीं। उन दिनों सिंह प्राइवेट प्लेन से चुनाव प्रचार करते थे।
भोपाल, जेएनएन। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह पर उनकी मां सरोज सिंह द्वारा घरेलू हिंसा और घर से बेदखल करने का आरोप लगाने के दौरान चर्चा में आई वीणा सिंह पूर्व मुख्यमंत्री स्व.अर्जुन सिंह की राजनीतिक उत्तराधिकारी बनना चाहती थीं। 1990-91 में जब अर्जुन सिंह की बायपास सर्जरी हुई थी, उसके बाद से वीणा पूरे समय उनके साथ रहती थीं। उन दिनों सिंह प्राइवेट प्लेन से चुनाव प्रचार करते थे। विमान में बेटी के अलावा सिर्फ डॉक्टरों की टीम होती थी। मानव संसाधन विकास मंत्री बनने के बाद भी सारा काम वीणा ने ही संभाला।
चुनाव मैदान में कूदीं
राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते ही वीणा ने कांग्रेस का टिकट न मिलने पर 2009 में सीधी लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन तब अर्जुन सिंह ने सीधी के पूजा पार्क में कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रजीत पटेल के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित किया। उस सभा में उनके आंसू भी निकल पड़े थे। तब वह बोले थे कि 'मनुष्य का शरीर थक जाता है तो अपने घर के लोग भी बात नहीं मानते।'
नेपाल घराने की बेटी है वीणा की पुत्रवधु
वीणा सिंह के बेटे ऐश्वर्य सिंह की शादी नेपाल राजघराने से संबद्ध रही देवयानी राणा से हुई है। नेपाल राजपरिवार में हुए हत्याकांड (2001) को लेकर देवयानी सुर्खियों में रही थीं। देवयानी भाजपा की संस्थापक सदस्य विजयाराजे सिंधिया की बड़ी बेटी ऊषा राजे सिंधिया की बेटी हैं।
राजा बाबा से हुई है वीणा की शादी
वीणा सिंह की शादी 70 के दशक में सिंगरौली जिले के राजघराने में वीपी सिंह (राजा बाबा) से हुई थी। राजा बाबा के पास स्टेट गहरवार के नाम से 1500 गांव की रियासत थी। राजा बाबा 2013 में सिंगरौली से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। 1998 में वह माइनिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
सियासती बनाम संपत्ति विवाद
वीणा सिंह और अजय सिंह के बीच पहले यह भाई-बहन वाला पारिवारिक विवाद ही रहा, जो बाद में सियासती अनबन में बदल गया। मां का झुकाव वीणा की तरफ रहा, जिससे भाई-बहन के बीच दूरियां बढ़ती गई। बात बिगड़ती गई और यह विवाद जायदाद तक जा पहुंचा।
ऐसे बढ़ा मनमुटाव
अर्जुन सिंह जब मानव संसाधन मंत्री थे, तब वीणा ही उनका सारा कामकाज संभालती थीं। उस वक्त वीणा का दखल इतना बढ़ गया था कि अर्जुन सिंह के पुराने विश्वस्त कर्मचारियों को भी हाशिए पर कर दिया गया था। इस दौरान अर्जुन सिंह ने अपनी कुछ संपत्ति वीणा के नाम कर दी। इसके बाद से भाई-बहन के बीच मनमुटाव बढ़ता चला गया।
तब गहराया था विवाद
2011 में अर्जुन सिंह के निधन के बाद भाई-बहन के विवाद को हवा मिलती गई। 2015 में अर्जुन सिंह के जन्मदिन समारोह के विज्ञापनों में अजय सिंह और उनके भाई अभिमन्यु सिंह का नाम ही दिया गया। मां सरोज कुमारी और बहन वीणा का नाम नहीं दिखा। इसके बाद पारिवारिक गुटबाजी और दोनों का विवाद सतह पर आ गया।