ढांचा विध्वंस मामला: यूपी सरकार ने बताया सुनवाई कर रहे जज का कार्यकाल बढ़ाया गया
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार (Uttar Pradesh government) ने बताया कि साल 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh government) ने बताया कि साल 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। जस्टिस आरएफ नरिमन (Rohinton Fali Nariman) और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इस सिलसिले में यूपी सरकार के मुख्य सचिव के हलफनामे और ऑफिस मेमो का अवलोकन किया। यूपी सरकार की ओर से पेश हुई वकील ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन हो चुका है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने और फैसला सुनाए जाने की तारीख तक बढ़ा दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले विशेष जज का कार्यकाल मुकदमे की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने के लिए बढ़ाया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को यूपी सरकार से कहा था कि केस की सुनवाई कर रहे विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव का कार्यकाल बढ़ाने पर गौर किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश से भी कहा था कि इस मामले में नौ महीने के भीतर फैसला सुनाया जाए।
इस मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित कई लोग आरोपी हैं। इसके अलावा भाजपा के पूर्व सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा पर भी आपराधिक साजिश रचने का आरोप हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को खत्म करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 फरवरी, 2001 के फैसले को भी त्रुटिपूर्ण बताया था। तीन प्रमुख आरोपी गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का निधन हो जाने के कारण उनके खिलाफ मुकदमा खत्म हो गया था।