महाराष्ट्र में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाल दिए गए, ताकि गन्ने की कटाई का काम न रुके
राज्य सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने की घटना की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया है। पैनल दो माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र के बीड जनपद में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय सिर्फ इसलिए निकाल दिए गए, ताकि वह अनवरत गन्ने की कटाई का काम करती रह सकें। यह खुलासा महाराष्ट्र विधान परिषद में स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने किया है। इस घटना की जांच के लिए सरकार ने एक पैनल भी गठित कर दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार पिछले तीन साल में मराठवाड़ा के बीड जनपद में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाल दिए गए हैं। इस बात का पता बीड डिस्ट्रिक्ट सिविल सर्जन की अध्यक्षता में गठित एक समिति की जांच में चला है।
समिति की रिपोर्ट के अनुसार बीड में निजी क्षेत्र के 99 अस्पतालों में 2016-17 से 2018-19 के बीच इतनी बड़ी संख्या में 25 से 30 वर्ष के आयुवर्ग वाली महिलाओं की अज्ञानता का लाभ उठाकर उनके गर्भाशय निकाल दिए गए। ताकि वह गर्भ धारण न कर सकें और उनसे गन्ना कटाई का काम लिया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने विधान परिषद में यह जानकारी शिवसेना की दो महिला सदस्यों नीलम गोरे एवं मनीषा कायंदे के सवालों का जवाब देते हुए दी। हालांकि शिंदे के अनुसार इनमें कई महिलाएं ऐसी भी हैं, जो गन्ना कटाई का काम नहीं करती हैं।
राज्य सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं के गर्भाशय निकाले जाने की घटना की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया है, जिसका नेतृत्व स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव करेंगे। इस पैनल में तीन स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक एवं कुछ महिला विधायक भी शामिल होंगी। यह पैनल दो माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा।
यह मामला पहली बार इसी वर्ष अप्रैल में तब सामने आया था, जब अखबारों में छपी रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया था। उसके बाद ही बीड के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित कर मामले की जांच की गई थी।
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