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पेगासस मामले पर संसद में फिर हुआ हंगामा, सरकार झुकने को राजी नहीं; विपक्ष भी पीछे हटने को तैयार नहीं

पेगासस जासूसी कांड पर संसद में जारी संग्राम के थमने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। विपक्ष बहस की मांग से पीछे हटने को राजी नहीं है तो सरकार भी विपक्षी दलों के दबाव में चर्चा की मांग पर मानने को तैयार नहीं दिख रही।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 08:22 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 08:22 PM (IST)
पेगासस मामले पर संसद में फिर हुआ हंगामा, सरकार झुकने को राजी नहीं; विपक्ष भी पीछे हटने को तैयार नहीं
पेगासस जासूसी कांड पर संसद में जारी संग्राम

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पेगासस जासूसी कांड पर संसद में जारी संग्राम के थमने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। विपक्ष जासूसी कांड पर बहस की मांग से पीछे हटने को राजी नहीं है तो सरकार भी विपक्षी दलों के दबाव में चर्चा की मांग पर मानने को तैयार नहीं दिख रही। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कायम इस गतिरोध के चलते आठवें दिन भी संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा हुआ और कामकाज सुचारु रूप से नहीं हो पाया। हंगामे-नारेबाजी के बीच सरकार ने लोकसभा में दो और राज्यसभा में एक विधेयक पारित करा लिया। पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष एकजुट होकर सरकार की घेराबंदी में जुटा है। गुरुवार को भी विपक्षी सदस्यों ने सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया तो संसद में शोर-गुल और नारेबाजी कर कार्यवाही ठप कराई।

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लोकसभा के स्‍पीकर ने जमकर खरी खोटी सुनाई

लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर ने बुधवार को कांग्रेस व तृणमूल समेत कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा कागज फाड़कर आसन और प्रेस दीर्घा की ओर उछालने के आचरण पर जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि सदस्यों के ऐसे व्यवहार से वे आहत हैं। सदस्यों को चेतावनी देते हुए स्पीकर ने कहा कि दुबारा इस तरह का आचरण करने वाले सांसदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। स्पीकर की टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विपक्ष पूरी तरह सदन में बहस और कामकाज चलाने के पक्ष में हैं, लेकिन मौजूदा गतिरोध की वजह सरकार की जिद है और वह विपक्ष को सदन में अपनी बात रखने नहीं दे रही है। संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने अधीर को बीच में ही रोकते हुए कहा कि आरोप लगाने के बजाय कागज उछालने वाले सांसदों को माफी मांगनी चाहिए। जोशी के जवाबी हमलों के बाद शोर-शराबा बढ़ गया और सदन 11.30 बजे तक स्थगित हो गया।

विधायी कार्य भी चलता रहा

सदन फिर शुरू हुआ तो स्पीकर की जगह पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामे में ही बचा हुआ प्रश्नकाल चलाया। सदन दो बार और स्थगित होने के बाद दोपहर दो बजे पीठासीन सभापति भाजपा के किरीट सोलंकी ने विपक्ष के भारी विरोध और हंगामे के बीच दो विधेयक ध्वनिमत से पारित करा दिए। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एयरपो‌र्ट्स इकोनामिक रेगुलेटरी अथारिटी संशोधन बिल पेश कर अपनी बात रखी और फिर इसे बिना बहस पारित कर दिया गया।

इसके बाद जहाजरानी व पोत परिवहन मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने अंतर्देशीय जल परिवहन बिल पेश कर इसे पारित कराया। आरएसपी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने बिल पर अपने संशोधन की अनदेखी किए जाने का सदन में कड़ा विरोध भी जताया। इन दोनों विधेयकों के पारित होते ही लोकसभा पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

विपक्ष ने पहले ही दिखाए अपने तेवर

जासूसी कांड पर विपक्ष ने अपने रुख से पीछे नहीं हटने का संदेश सदन शुरू होने से पहले ही संसद परिसर में अपने विरोध प्रदर्शन के जरिए दे दिया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए जासूसी कांड पर बहस की विपक्ष की मांग दोहराते हुए कहा कि हमारे लोकतंत्र की बुनियाद है कि सांसद जनता की आवाज बनकर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा करें। मोदी सरकार विपक्ष को यह काम नहीं करने दे रही। संसद का और समय व्यर्थ मत करो- करने दो महंगाई, किसान और पेगासस की बात।

राज्यसभा में भी हुआ हंगामा

राज्यसभा में भी पेगासस जासूसी पर विपक्ष का हंगामा और नारेबाजी जारी रही जिसके कारण सदन लंच से पहले दो बार ठप हुआ। सभापति वेंकैया नायडू ने इस मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के कार्यस्थगन प्रस्ताव के सभी नोटिस खारिज कर दिए। हालांकि इस दौरान उपसभापति हरिवंश ने हंगामे में ही आधे घंटे से ज्यादा प्रश्नकाल चलाया। दो बजे जब फिर सदन शुरू हुआ तो वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने फैक्ट्री रेगुलेशन संशोधन बिल पेश किया।

हंगामे के बीच ही भाजपा, अन्नाद्रमुक और टीआरएस के एक-एक सदस्य ने संक्षिप्त चर्चा में अपनी बात रखी। इसके बाद विधेयक ध्वनिमत से पारित कर कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष के विरोध-हंगामे के बावजूद सरकार जिस तरह अपना विधायी कामकाज आगे बढ़ा रही है उसका संकेत साफ है कि जासूसी कांड के मौजूदा गतिरोध का हल निकलने की उम्मीद धूमिल पड़ रही है।


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