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आर्थिक मंदी को लेकर सरकार पर विपक्ष का हमला, चिदंबरम बोले, अर्थव्यवस्था आइसीयू में

आर्थिक मंदी को लेकर विपक्षी दलों ने राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान एनडीए सरकार पर जबरदस्त हमला बोला।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 07:45 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 08:26 PM (IST)
आर्थिक मंदी को लेकर सरकार पर विपक्ष का हमला, चिदंबरम बोले, अर्थव्यवस्था आइसीयू में
आर्थिक मंदी को लेकर सरकार पर विपक्ष का हमला, चिदंबरम बोले, अर्थव्यवस्था आइसीयू में

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्थिक मंदी को लेकर विपक्षी दलों ने राज्यसभा में बजट पर चर्चा के दौरान एनडीए सरकार पर जबरदस्त हमला बोला। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था आइसीयू के मुहाने पर खड़ी है मगर दिक्कत यह है कि इसका इलाज अक्षम डाक्टर कर रहे हैं। बाजार में घटती मांग और घटते रोजगार के बीच लगभग सभी आर्थिक मानकों पर अर्थव्यवस्था चिंताजनक स्थिति में है। इस हकीकत को झुठला कर सरकार हालत को और गंभीर बना रही है। वहीं भाजपा नेता अरुण सिंह ने विपक्ष पर जवाबी प्रहार करते हुए कहा कि वैश्विक कारणों से चुनौतियां जरूर आयी है मगर बजट की घोषणाओं से अर्थव्यवस्था की गति टै्रक पर लौट आएगी।

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अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर संस्थागत समस्या

राज्यसभा में बजट पर चर्चा की शुरूआत करते हुए चिदंबरम ने बेहद तीखा वार करते हुए कहा कि वित्तमंत्री ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है जिससे लोगों की जेब में पैसा जाए। जब तक लोगों की हाथों में पैसा नहीं पहुंचेगा और रोजगार नहीं मिलेगा तब तक अर्थव्यवस्था की हालत नहीं सुधरेगी। सरकार अब भी आर्थिक मंदी को चक्रीय समस्या मान रही जबकि हकीकत में यह संस्थागत समस्या है। चिदंबरम ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रण्यम, पूर्व रिजर्व बैंक गर्वनर रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि संस्थागत बीमारी के चलते अर्थव्यवस्था आइसीयू में जाने लायक है। नोटबंदी के साथ जीएसटी के खराब क्रियान्वयन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि लगातार छह तिमाही में जीडीपी की गिरावट से अर्थव्यवस्था की चुनौती और गहरी हुई है। चिदंबरम ने रोजगार दर घटने और उपभोक्ता खर्च में आयी कमी से जुड़ी एनएसएसओ की दोनों सरकारी रिपोर्र्टो को दबाने के लिए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इन्हें संसद में रखने की मांग भी की।

रक्षा बजट में कटौती पर भी गंभीर सवाल उठाए

जीडीपी के 11 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने से लेकर महंगाई में बीते 11 महीने में आये उछाल, कृषि विकास दर की धीमी गति और औद्योगिक विकास दर में आयी गिरावट के आंकड़ों के सहारे कांग्रेस नेता ने कहा कि इस सच्चाई से सरकार मुंह फेर रही है। चिदंबरम ने कहा कि आयकर दाताओं को टैक्स चार्टर नहीं चाहिए। वे तो केवल इनकम टैक्स अधिकारियों के हाथ में दिए गैर जरूरी कानूनी प्रावधानों के शिकंजे से राहत चाहते हैं। आर्थिक सुस्ती के मौजूदा हालत पर सरकार को आइना दिखाने के लिए चिदंबरम ने नवंबर 2013 में भाजपा के तत्कालीन पीएम उम्मीदवार के तौर पर दिए नरेंद्र मोदी के बयान का सहारा लेते हुए वित्तमंत्री को इससे सबक लेने की नसीहत दी। तब एक सम्मानित नेता (मोदी) ने कहा कि 'युवा रोजगार चाहता है, इसलिए सस्ती राजनीति की बजाय अर्थव्यवस्था पर फोकस करिए' और निर्मला सीतारमण को भी वे यही सलाह देंगे। चिदंबरम ने रक्षा बजट में कटौती पर भी गंभीर सवाल उठाए और आश्चर्य जताया कि नये सीडीएस ने इसको लेकर विरोध क्यों नहीं जताया है।

बजट के ऐलानों से जल्द तेज होगी विकास की गति

भाजपा नेता अरुण सिंह ने कहा कि चिदंबरम अर्थव्यवस्था की जैसी गंभीर तस्वीर पेश कर रहे हैं हालत वैसी नहीं है। सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र, कारपारेट टैक्स से लेकर इज आफ डूंइंग बिजनेस के जरिये निवेश का अच्छा माहौल बनाया है। इसका सकारात्मक असर विकास दर और रोजगार सृजन दोनों में जल्द ही दिखाई देगा। अरुण सिंह ने बजट में कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्र के लिए आवंटित राशि को अहम बताते हुए कहा कि इसे किसानों की हालत बेहतर होगी। मझोले और छोटे कारोबारियों को जीएसटी के कार्यान्वयन में बड़ी राहत का भी अच्छा संकेत मिल रहा है।

अरुण सिंह ने आयुष्मान भारत, स्वच्छ भारत अभियान, किसान सम्मान से लेकर सरकार की अहम योजनाओं को बजट में दिए गए तवज्जो के लिए वित्तमंत्री की सराहना की। तृणमूल कांग्रेस के मानस रंजन भुइंया ने चिदंबरम के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था को सरकार ने आर्थिक कोराना वायरस से संक्रमित कर दिया है जिसका तत्काल इलाज जरूरी है। सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने स्वास्थ बजट में कटौती पर चिंता जाहिर की और कहा कि चीन में जैसा संकट आया है उससे देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र को हल्के में लेना ठीक नहीं है।


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