पांच जुलाई को पेश होगा आम बजट, केवल बेहद जरूरी मदों में ही बढ़ सकती है धनराशि
पिछली सरकार में रक्षा मंत्री रहीं निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय का कामकाज सौंपा गया है। अब मंत्रालय का पूरा ध्यान जुलाई में चालू वित्त वर्ष का पूर्ण बजट पेश करने पर है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष का पहला पूर्ण बजट 5 जुलाई को पेश होगा। वित्त मंत्रालय ने इसकी तैयारी शुरु कर दी है। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में सभी मंत्रालयों को पत्र लिख स्पष्ट कर दिया है कि अंतरिम बजट में आवंटित राशि में बदलाव केवल बेहद जरूरी मदों में भी स्वीकार होगा। वित्त मंत्रालय ने ऐसे सभी आवेदन 7 जून तक भेजने को कहा है।
शपथग्रहण और मंत्रिमंडल के बंटवारे के बाद मोदी सरकार ने 17वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र का एलान कर दिया है। संसद का पहला सत्र 17 जून से शुरू होगा जो 26 जुलाई तक चलेगा। बता दें कि 19 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा जिसके बाद 20 जून से बजट सत्र की शुरुआत होगी और 5 जुलाई को बजट पेश किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बजट सत्र को लेकर बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 20 जून को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित (अभिभाषण) करेंगे जिसके बाद आर्थिक सर्वे 4 जुलाई को जारी किया जाएगा।
भारी बहुमत से विजय हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल ने गुरुवार को शपथ ली। शुक्रवार को सभी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी हो गया है। पिछली सरकार में रक्षा मंत्री रहीं निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय का कामकाज सौंपा गया है। उन्होंने शुक्रवार को ही मंत्रालय में कामकाज संभाल भी लिया। अब मंत्रालय का पूरा ध्यान जुलाई में चालू वित्त वर्ष का पूर्ण बजट पेश करने पर है।
सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों के वित्तीय सलाहाकारों को पत्र भेजकर अंतरिम बजट में सभी मंत्रालयों को आवंटित राशि में किसी भी तरह के फेरबदल से इनकार कर दिया है। मंत्रालय ने कहा है कि जो अनुमान अंतरिम बजट में लगाये गये हैं, उन्हें बदला नहीं जाएगा। अलबत्ता अंतरिम बजट पेश होने के बाद यदि किसी मंत्रालय में ऐसी स्थिति बनती है जिसके लिए अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होगी तो उस पर विचार किया जा सकता है। इसके लिए सभी मंत्रालयों से 7 जून तक अपनी मांगे वित्त मंत्रालय की बजट डिविजन को भेजने को कहा गया है।
पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि आवंटन वृद्धि के उन्हीं प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा जिन्हें किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि उसकी मंजूरी भी मांग की पूरी समीक्षा करने के बाद ही मिलेगी।
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